बने बनाए स्ट्रक्चर पर भी काम करें आईटी कंपनियां

By: Oct 26th, 2019 12:01 am

शिमला – लगभग छह महीने वित्त विभाग की मंजूरी के इंतजार में पड़ी प्रदेश की आईटी पॉलिसी को शुक्रवार को कैबिनेट ने मंजूरी प्रदान कर दी है। यहां पर इस क्षेत्र में बड़ा निवेश रिझाने के लिए सरकार आईटी पॉलिसी लाई है, जिसमें कई प्रावधान रखे गए हैं, ताकि यहां पर आईटी कंपनियों को राहत मिल सके। आईटी कंपनियों को सबसे बड़ी राहत यहां पर बने बनाए स्ट्रक्चर पर उद्योग चलाने की छूट रहेगी। रियल एस्टेट की कंपनियां यदि आईटी कंपनियों के लिए स्ट्रक्चर बनाकर देती हैं, तो उनको मिलने वाली रियायतों का लाभ रियल एस्टेट कंपनी को भी मिलेगा। क्योंकि ऐसी कंपनियों को कम स्पेस की जरूरत रहती है, लिहाजा उन्हें जगह लेकर भवन बनाने की जरूरत नहीं रहेगी। इसे को-वर्किंग स्पेस बताया गया है। बता दें कि प्रदेश में आईटी क्षेत्र में निवेश के लिए कई कंपनियों से बातचीत हो चुकी है, जिनसे चर्चा के बाद कई प्रावधान इसमें रखे गए हैं। नई पॉलिसी लागू होने से प्रदेश में सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर निवेश हो सकता है। बता दें कि पूर्व में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आईटी पॉलिसी में संशोधन के लिए तीन बार ड्राफ्ट में बदलाव किया था, लेकिन सरकार इसे लागू करने में असफल रही। नई पॉलिसी में केंद्र सरकार की डिजिटल इंडिया स्कीम के तहत नए सिरे से नियम बनेंगे। वर्तमान में केंद्र की ओर से मिलने वाली राशि 90ः10 का रेशो जारी है और इसी के आधार पर ही आईटी के क्षेत्र में प्रदेश में विकास कार्य होंगे। आईटी विभाग ने सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) के पूर्व निदेशक एवं केंद्रीय प्रमुख रजनीश अग्रवाल से नई पॉलिसी के लिए ड्राफ्ट तैयार करने में सहयोग मांगा था। आईटी पॉलिसी में प्रदेश की सभी पंचायतों को लोकमित्र केंद्रों से जोड़ने एवं गांव-गांव में सरकारी कागजातों को ऑनलाइन करने की सुविधा मिलेगी। पॉलिसी लागू होने के बाद प्रदेश की सभी पंचायतों को लोकमित्र केंद्रों से जोड़ दिया जाएगा।

निवेशकों को मिलेगी छूट

आईटी पॉलिसी में निवेशकों को यहां पर जमीन लेने में छूट दी जाएगी। इस तरह की दिक्कत उन्हें आती थीं, उनको दूर करके सरकार एक ही जगह पर कई कंपनियों को स्थापित करने के लिए कदम उठाएगी। उन्हें कुछ सबसिडी देने की भी योजना है, जिसमें कैपिटल व ट्रांसपोर्ट सबसिडी का फायदा भी मिल सकता है।


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