भारतीय पाठ्यक्रम में दलाईलामा की शिक्षाएं

By: Oct 26th, 2019 12:01 am

धर्मशाला कालेज के पहले बैच को बौद्ध धर्मगुरु ने दी विशेष टीचिंग, छात्रों के सवालों के दिए जवाब

धर्मशाला    – भारतीय पाठ्यक्रम में पहली बार बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा की शिक्षाओं को शामिल कर धर्मशाला कालेज में पढ़ाया जाने लगा है। बौद्ध नगरी में बसे इस कालेज के पहले बैच को शुक्रवार को बौद्ध धर्मगुरु ने मकलोडगंज बुलाकर बकायदा टीचिंग भी दी। उन्होंने कालेज के प्राचार्य व अन्य शिक्षकोंं का भी मार्गदर्शन किया। शुक्रवार को दलाईलामा टैंपल परिसर में हुई विशेष टीचिंग में देश भर के करीब आधा दर्जन से अधिक विश्वविद्यालयों के छात्रों को दलाईलामा की टीचिंग लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस दौरान बौद्ध धर्मगुरु ने नालंदा विश्वविद्यालय की शिक्षाओं का जिक्र करते हुए छात्रों को उनका अध्ययन करने का भी आह्वान किया। इस दौरान दलाईलामा ने छात्रों के मन में उठने वाले सवालों के जवाब भी दिए। पुरात्तन भारतीय शिक्षा पद्वति को कालेजों और स्कूलों में शुरू करने के धर्मगुरु दलाईलामा के प्रयासों के बाद इसे प्रदेश के पुरात्तन महाविद्यालयों में शुमार धर्मशाला कालेज में शुरू किया गया है। इसी कड़ी में शुक्रवार को दलाईलामा ने बाकायदा पहले बैच के इन छात्रों को ज्ञान दिया। धर्मशाला महाविद्यालय में प्राच्य भारतीय विद्या केंद्र की स्थापना की गई है। इस केंद्र में छात्रों के लिए छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया गया है। इस कोर्स को बाकायदा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने भी स्वीकृति दे दी है। पहले बैच में 30 छात्रों को शिक्षा देने की मंजूरी मिली है। प्राचीन भारतीय विद्या और दया-करुणा की शिक्षा से समाहित इस कोर्स के लिए धन की व्यवस्था भी दलाईलामा कार्यालय से होगी। प्राच्य भारतीय विद्या के सर्टिफिकेट कोर्स में विद्यार्थियों को प्राचीन संस्कृति, परंपराए, ज्ञान-विज्ञान, योग, धर्म दर्शन आदि का ज्ञान दिया जाएगा, जिससे युवाओं में मानवीय मूल्यों, दया, करुणा का भाव जग सके। धर्मशाला कालेज के प्राचार्य ज्योति कुमार ने बताया कि प्राच्य भारतीय विद्या केंद्र की स्थापना धर्मशाला कालेज में की गई है। शुक्रवार को बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा का मार्गदर्शन कालेज के छात्रों व शिक्षकों को मिला। उन्होंने नालंदा विवि से जोड़कर कई उदाहरण छात्रों व शिक्षकों को देकर गहन ज्ञान दिया है। इस कोर्स से स्वभाविक रूप से आने वाली पीढ़ी में बड़ा परिवर्तन आने की उम्मीद है।

पुनर्जन्म पर शर्मसार किया तिब्बती समुदाय

बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने शुक्रवार को देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से मकलोडगंज पहुंचे छात्रों को अपनी टीचिंग के दौरान एक सवाल के जबाब में कहा कि वह शारीरिक रूप से भारत में हैं, पर मन उनका तिब्बत में है। पुनर्जन्म के खराब पहलू पर दलाईलामा ने कहा कि तिबेतन इतिहास में कई लामाओं गुरुओं ने अद्भुत योगदान दिया, लेकिन कइयों ने तिब्बती समुदाय को शर्मसार भी किया। व्यक्तिगत रूप से कुछ लामाओं ने पुनर्जन्म के नाम का इस्तेमाल किया। धर्मगुरु ने कहा कि पुनर्जन्म सामंतवाद जागीरदार प्रथा से जुड़ा हुआ है, अब यह समाप्त होना चाहिए। भिक्षुओं द्वारा मांस खाने के प्रश्न पर दलाईलामा ने कहा कि शाकाहारी भोजन सबसे बेहतर है। लोगों को शाकाहार भोजन अपनाना चाहिए।


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