मणिकर्ण घाटी में न पर्यटन स्थल संवरे…न बना होटल

By: Oct 20th, 2019 12:20 am

कुल्लू – भले ही विश्व में पर्यटन नगरी एवं धार्मिक नगरी विख्यात हो चुकी है और दुनिया के लोग भी बेहद पसंद करते हैं। लेकिन नजर अंदाज की है तो प्रदेश की आने-जाने वाली सरकारों और राजनेताओं ने। आज पर्यटन को विकसित करने के लिए चाहे मौजूदा सरकार भी कितने दावे कर रही हों, लेकिन मणिकर्ण घाटी को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने में अनदेखी कर रही है। जिसके कई उदाहरण है। घोषणाओं पर घोषणाएं जारी हैं, लेकिन हालत जस के तस हैं। घाटी के लोगों का गुसा अब तब एक बार फूटा है जब हाल ही में कुल्लू दौरे पर आए मुख्यमंत्री और सांसद ने मणिकर्ण घाटी की समस्याओं के समाधान के बारे में चंद शब्द तक नहीं कहे। जिससे पार्वती घाटी के लोगों में सरकार के प्रति खासा रोष है। लोगों का कहना है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में घाटी में एक भी नए काम की शुआत न हो पाई है। कुछ लोगो का तो यहां तक कहना है कि मणिकर्ण घाटी के लोगों के साथ यह किसी बड़े क्षेत्रवाद से कम नहीं है।  मणिकर्ण घाटी में चार-पांच वर्ष पहले सांसद ने कहा था कि भुंतर से पुलगा तक सड़क को डबल लेन बनाया जाएगा। जिस योजना का नाम भारतमाला है। लेकिन  अब तक इसका कार्य कागजों से बाहर तक नहीं निकल पाया है। कुछ लोगों का कहना है कि भारत सरकार की भारतमाला योजना शायद अब वापस दिल्ली गई होगी। लोगों का कहना है कि 1985 के दशक से ही पयर्टक व धार्मिक श्रद्धालुओं का आवागमन घाटी की ओर हो रहा है। लेकिन पर्यटन स्थल विकसित करने में सरकार नाकाम साबित हुई है। विभिन्न मंचों से भले ही मौजूदा सरकार पर्यटन विकसित करने की बात कर रही होंगी। लेकिन धरातल कुछ भी कार्य नहीं हो पा रहा है। लोगों का ऐतराज यह भी है कि हाल ही में मुख्यमंत्री ने कलाकेंद्र से पर्यटन स्थलों को विकसित करने की बात कर रहे थे, लेकिन मणिकर्ण घाटी का कोई भी जिक्र न किया गया।  जिससे घाटी के व्यवसायी, होटल मालिक व घाटी के पर्यटक व्यवसाय से जुड़े लोगों में सरकार के प्रति भारी रोष पनपा हुआ है। घाटीवासी दलीप कुमार, नंद लाल,कृष्णकांत, कुलदीप, अजय , प्रिंस, मनजीत, सागर, आकाशकहना है ही यदि मणिकर्ण की बात करंे तो भुंतर से मणिकर्ण तक सड़क की बहुत ही दयनीय स्थिति है। मणिकर्ण में बस स्टेंड बाबा आदम के जमाने से बन रहा है, लेकिन सरकार व विभाग जमीनी औपचरिकताएं ही पूरी नहीं कर पा रहे हैं। यहां अनदेखी वाली बात यह भी है कि मणिकर्ण में पर्यटक विभाग का एक होटल था, जो 2000 में बह गया था लेकिन आज 19 वर्ष बाद भी सरकार व पयर्टन विभाग  होटल को दूसरी बार बनाने में चुपी साधे हुए हैं। वहीं घाटी के लोगों के लिए साडा मुसीबत बनी है। स्पेशल एरिया डवलपमेंट अथार्टी का कसोल व मणिकर्ण में बस इतना ही काम है कि यदि किसी के घर मे बिजली पानी के कनेक्शन लगने हो तो यह विभाग उसको लगने नही ंदेगा। इसके बाद इस विभाग के पास मणिकर्ण व कसोल के लिए कोई भी काम नहीं है और इस विभाग का यह सिलसिला काफी वर्षों से चला हुआ है।  लोगों का कहना है कि साडा को हटाने के लिए भी सरकार बार बार दावे कर रही है, लेकिन सरकार का रवैया नाकारात्म है। वहीं घाटी के लोगों का कहना है कि यदि शीघ्र ही इन समस्यों का समाधान नहीं हो पाया तो घाटीवासी सरकार व विभाग के खिलाफ  धरना प्रदर्शन करने से गुरेज नहीं करेंगे।


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