मिठाई घटिया है या नहीं थोड़ा देर से चलेगा पता
शिमला – इस बार भी दिवाली बीतने के बाद आपको पता चल पाएगा कि आपने घटिया मिठाई गटकी है या फिर शुद्ध। प्रदेश सरकार के बार-बार कं डाघाट लैब को मज़बूत करने के दावे इस बार भी खोखले ही नज़र आए हैं। जानकारी के मुताबिक प्रदेश भर से हेल्थ सेफ्टी एंड रेगुलेशन डिपार्टमेंट की ओर से मिठाइयों की दुकानों पर आए दिन छापामारी की जा रही है। इसमें लगभग एक हजा़र सैंपल्स कंडाघाट लैब जांच के लिए भेजे गए हैं। इसमें सूचना है कि 20 फीसदी सैंपल्स की रिपोर्ट तैयार हो पाई हैं, जिसमें शिमला के आईसीबीटी से लिए गए मिल्क केक का सैंपल फेल हो चुके हैं। हालांकि कंडाघाट लैब में स्टाफ को बढ़ाया गया है, जिसमें अब छह लोग टेस्टिंग कर रहे है, लेकिन इस बार बहुत ज्यादा छापामारी हुई है, जिसकी रिपोर्ट को तैयार करने के लिए यह स्टाफ भी कम है। प्रति रिपोर्ट क ो आने के लिए लगभग 15 दिन लग जाते हैं, जिसको लेकर अभी मात्र 40 फीसदी मिठाइयों की रिपोर्ट ही आ पाई है। विभाग के अधिकारी तेज़ी से सैंपल भर रहे हैं। इसके साथ ही खराब मिठाइयां मौके पर फिंकवाई जा रही हैं। शिमला में कुछ जगह तो मिठाइयों में चूहे का मल भी मिला है। हैल्थ सेफ्टी एंड रेगुलेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने दुकानदारों को साफ तौर पर कहा है कि चाशनी में रंगकाट का इस्तेमाल न करें। यह कैंसर का कारण बनता है। विभाग ने यह भी गाइडलाइन जारी की है कि लोग रंगदार मिठाई का प्रयोग न करें। इसके साथ ही खुले में बनी मिठाइयों को भी न खरीदें। अधिकारियों का कहना है कि बाहरी राज्यों से भी जो मिठाई आ रही है वह गुणवत्ता के मानकों पर खरी नहीं उतर रही है। प्रदेश के शिमला, सोलन, कांगड़ा, हमीरपुर और बिलासपुर में सबसे अधिक मिठाइयों की दुकानों में ही छापामारी की जा रही है।
इन्फेक्शन का डर
घटिया मिठाइयों के खाने से पेट में गंभीर इन्फेक्शन भी हो सकता है। वहीं, फूड प्वाइज़निंग के मामले भी गंदी मिठाई के खाने से सामने सकते हैं। आईजीएमसी के डा. प्रवीण कहते हैं कि दिवाली बीतने के बाद हर वर्ष पेट में इन्फेक्शन के मामलों का ग्राफ बढ़ जाता है।
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