लैंड मॉडगेज बिल पर केंद्र को आपत्ति

By: Oct 2nd, 2019 12:01 am

एक बिंदु पर मांगी क्लेरिफिकेशन, प्रदेश सरकार ने विधि विभाग से ली राय

शिमला – जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को किसी भी बैंक से ऋण लेने में सुविधा देने वाला प्रदेश का विधेयक पर केंद्र ने एक बिंदु पर आपत्ति जताई है। इसमें प्रदेश सरकार से पूछा गया है कि ऋण तय समयावधि पर जमा न करने वालों की जमीन की निलामी में कोई सोसायटी भाग ले सकती है या नहीं। प्रदेश सरकार द्वारा संशोधित बिल में साफ कहा है कि जनजातीय क्षेत्रों के लोग किसी भी बैंक से ऋण लेने के बाद उसे समय पर जमा नहीं करते हैं, तो संबंधित व्यक्ति की जमीन की निलामी होगी, जिसमें नॉन ट्राइबल के लोग भाग नहीं ले सकेंगे, जबकि क्षेत्र में संचालित सोसायटी भाग ले सकती हैं। इस मसले पर केंद्र ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि सोसायटी द्वारा निलामी में भाग लेने के लिए नियम व शर्तें क्या होंगी? इस संदर्भ में जनजातीय विकास विभाग ने विधि विभाग से राय ली है। उसके बाद केंद्र सरकार को जवाब दिया जाएगा। ऐसे में लैंड मॉडगेज विधेयक को मंजूरी मिलने में अभी समय लग सकता है। यदि यह बिल प्रदेश में लागू हो जाता है, तो प्रदेश के जनजातीय जिलों के लोग किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण ले सकेंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार ने पिछले साल मॉनसून सत्र में हिमाचल प्रदेश भूमि अंतरण अधिनियम 1968 के कानून में प्रदेश सरकार ने संशोधन विधेयक सदन में पारित किया था, जिसे राज्यपाल की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति को भी भेज दिया, मगर अभी तक राष्ट्रपति से विधेयक की फाइल वापस नहीं आई। हालांकि वर्तमान में इन क्षेत्रों के लोगों को राज्य के सहकारी बैंक से जमीन मॉडगेज कर ऋण दिया जाता है। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के लोगों को जमीन के एवज में ऋण लेने के लिए इस विधेयक में कानून का प्रावधान किया गया। जयराम सरकार ने ट्राइबल एरिया के लोगों को ऋण लेने के लिए बेहतर सुविधा देने के लिए ही इस विधेयक में संशोधन किया है। राष्ट्रपति भवन से विधेयक की फाइल वापस आने के बाद ही नए नियम लागू हो जाएंगे।


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