सुन्नी डैम को चाहिए 442 हेक्टेयर जमीन

By: Oct 8th, 2019 12:01 am

परियोजना की सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट तैयार, ऊर्जा विभाग ने दी मंजूरी

शिमला – सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड को प्रदेश सरकार द्वारा दी गई सुन्नी डैम परियोजना की सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट तैयार है, जिसे ऊर्जा विभाग ने मंजूर कर दिया है। इस परियोजना के लिए करीब 442 हेक्टेयर भूमि की जरूरत है। यह परियोजना सतलुज नदी पर बनेगी, जो कि रन ऑफ दि रिवर परियोजना है। लंबे समय से इस प्रोजेक्ट को लेकर ऊहापोह की स्थिति रही, परंतु अब अंततः सतलुज निगम का प्रोजेक्ट मिलने के बाद इस पर काम शुरू होने जा रहा है। बता दें कि पहले यह परियोजना लूहरी प्रोजेक्ट का ही एक हिस्सा थी, लेकिन बाद में कांग्रेस सरकार ने सुन्नी डैम प्रोजेक्ट को अलग करके इसे पावर कारपोरेशन को सौंप दिया। पावर कारपोरेशन ने इस पर अध्ययन किया और फिर वापस इस प्रोजेक्ट को सतलुज निगम को सौंप दिया गया है। इस परियोजना के लिए कुल 442.2054 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, जिसमें से 389.0090 हेक्टेयर वन भूमि और 53.1964 हेक्टेयर निजी भूमि है। प्रस्तावित भूमि दो जिलों शिमला और मंडी में आती है, जिससे नौ ग्राम पंचायतों के 20 गांव प्रभावित होते हैं। इसमें प्रभावित होने वाले 1847 शीर्षधारक बताए जाते हैं, जिनके बेहतर जीवन यापन के लिए यहां पर सामाजिक प्रभाव आकलन किया गया है। इसमें प्रभावितों को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 व 2015 के तहत मुआवजा दिया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार यह परियोजना 1381.77 गीगावॉट बिजली एक साल में राष्ट्रीय ग्रिड में जोड़ेगी। सरकार को एसजेवीएन से इस परियोजना से 12 फीसदी मुफ्त बिजली प्राप्त होगी तथा परियोजना की कुल लागत का 1.5 फीसदी स्थानीय क्षेत्र विकास निधि में प्राप्त होगा। भूमि का अधिग्रहण शिमला और मंडी जिलों में 1623 व 224 शीर्षधारकों को प्रभावित करेगा। कुल 36 आवासीय घर प्रभावित होंगे, जिसमें शिमला में 14 व मंडी में 22 घर होंगे। इससे 36 आवासीय घरों में रहने वाले 45 परिवार प्रभावित होंगे। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में 36 आवासीय घर, 27 स्वतंत्र शौचालय, छह स्वतंत्र रसोईघर, 24 गोशालाएं, 11 घराट आ रहे हैं। अन्य संपत्तियों में 14824 फलदार और 26691 गैर फलदार पेड़ अधिग्रहण के तहत आएंगे। वहीं, दो स्कूल परलोग व पंदोआ, चार आईपीएच स्कीम्स, छह पुल, नौ रोप-वे, एक बावड़ी और 28 शमशानघाट अलग-अलग पंचायतों में नष्ट हो जाएंगे। इन सभी को सामाजिक सुरक्षा योजना के दायरे में लाया जाएगा और लोगों को इसका उचित प्रतिकर दिया जाएगा। रिपोर्ट में इसका पूरा आकलन कर इसे ऊर्जा विभाग को सौंपा गया है।


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