सोलन में तितली से चीते तक की जानकारी

By: Oct 8th, 2019 12:01 am

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग ने तैयार की हिमालयन रिपोजटरी, रखे जाएंगे दुनिया भर के इंसेक्ट्स

सोलन – पूरे विश्व में जीव-जंतु विज्ञान पर अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिकों को यदि इस विषय पर शोधकार्य या प्रत्यक्ष रूप से इन्हें देखना है, तो उन्हें सोलन आना पड़ेगा। सोलन स्थित उत्तरी भारत के भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग ने एक ऐसी हिमालयन रिपोजटरी (कोष) तैयार किया है, जिसमें दुनिया भर के हायमेनोप्टेरा (कलापक्ष) व सॉ लाइस के सैकड़ों हॉलो टाइप इंसेक्ट्स रखे जाएंगे। विश्व के किसी भी वैज्ञानिक या शिक्षार्थी ने उत्तरी हिमालय के विलक्षित जीव-जंतुओं पर कोई रिसर्च करनी है, तो उन्हें सोलन में स्थापित रिपोजटरी में आना ही होगा। पृथ्वीपर उत्पन्न सबसे पहले जीव को ‘प्रोटोजुआ’ का नाम दिया गया तथा उसके बाद तितली से लेकर चीते तक सभी जीव-जंतुओं की जानकारी भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग में मिलेगी। सोलन स्थित इस विभाग के परिसर में हिमालयन कोष में ऐसे इंसेक्ट्स रखे गए हैं, जो कि दुनिया में अन्य किसी रिपोजटरी में उपलब्ध नहीं हैं। आरंभिक सूचना के मुताबिक विभाग इसी अक्तूबर माह में इसका उद्घाटन करने की तैयारी में जुट गया है। इस रिपोजटरी के निर्माण पर करीब एक करोड़ 50 लाख रुपए का खर्च आया है। इस रिपोजटरी के निर्माण के पश्चात सोलन जहां विश्व मानचित्र पर आ जाएगा, वहीं जीव-जंतुओं व पशुओं पर आधारित ‘फौना’ का संरक्षण भी होगा। सोलन में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग को सितंबर माह में सन् 1968 में स्थापित किया गया था। उस समय से लेकर आज तक कर्मचारियों के वेतन व अन्य विभागीय खर्चों पर करोड़ों रुपए की राशि व्यय कर दी गई है। कोष न होने से सारा अनुसंधान कार्य बिखरा हुआ था। अब रिपोजटरी बन जाने से एक ही भवन में सारे शोध कार्यों के रिकार्ड को रखने के साथ-साथ फौना स्कैनिंग भी की जाएगी। वैज्ञानिकों व विद्यार्थियों के लिए भविष्य में यहां पर स्थापित रिपोजटरी एक अमूल्य संपदा होगी तथा देश-विदेश के लोगों के आकर्षण का केंद्र भी बन जाएगी।

देश-विदेश में बनाई पहचान

सोलन कई मायनों में पहले भी देश-विदेशों में अपनी पृथक पहचान बना चुका है। यहां पर एशिया का नौणी में स्थित डा. वाईएस परमार बागबानी व वानिकी विश्वविद्यालय, कसौली स्थित केंद्रीय अनुसंधान संस्थान, मशरूम निदेशालय, मोहन शक्ति हैरिटेज पार्क व जटोली स्थित दक्षिण भारत शैली में निर्मित शिव मंदिर है। जीव-जंतु कोष बनने से जिले की बड़ी उपलब्धियों में एक तगमा और जुड़ जाएगा।


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