स्कॉलरशिप घोटाले में पहली चार्जशीट जल्द

By: Oct 8th, 2019 12:01 am

शिमला – हिमाचल प्रदेश में सामने आए करोड़ों रुपए के स्कॉलरशिप घोटाले में सीबीआई अपनी पहली चार्जशीट दायर करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार सीबीआई की चार्जशीट तैयार है और इसमें ऊना के दो निजी शिक्षण संस्थानों के अलावा आधा दर्जन बैंकों के अधिकारी कर्मचारी, शिक्षा विभाग के अधिकारी कर्मचारी नामजद किए गए हैं। जल्दी ही अदालत में यह चार्जशीट दायर कर दी जाएगी। सीबीआई ने ऊना के पंडोगा और नवांशहर के निजी शिक्षण संस्थान के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर ली है। सीबीआई इसी महीने के दूसरे सप्ताह में अपनी चार्जशीट अदालत में सौंप देगी ऐसी सूचना है। जांच में अब तक सामने आया है कि एससी, एसटी और ओबीसी के मेधावी छात्रों की छात्रवृत्तियां निजी संस्थान डकार गए। मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्तियां छात्रों के फर्जी दाखिले से हड़पी गईं। इन सबसे जुड़े रिकार्ड को खंगालने में सीबीआई को खासी कसरत करनी पड़ी। सूत्रों की मानें तो अब तक जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच के आधार पर कहा जा रहा है कि केस की चार्जशीट को कई पार्ट में तैयार किया गया। पहले मुख्य चार्जशीट बनेगी। इसके बाद कई सप्लीमेंटरी चार्जशीट होंगी, जिन्हें एक के बाद एक अदालत में दायर किया जाएगा। बताया जा रहा है कि ऊना के पंडोगा और नवांशहर के निजी शिक्षण संस्थान छात्रवृत्ति हड़पने के लिए छात्रों के समुदाय को ही बदल देते थे। छात्रवृत्ति की ज्यादा रकम हड़पने के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों को अनुसूचित जनजाति का फर्जी छात्र बनाया गया। इतना ही नहीं, छात्रों की जाति बदलकर छात्रवृत्ति हड़पने का यह खेल इसलिए खेला गया, क्योंकि एसटी के छात्रों को एससी के छात्र से दोगुणी छात्रवृत्ति मिलती है। अनुसूचित जाति के छात्र को 50 हजार और अनुसूचित जनजाति के छात्र को 98 हजार रुपए की छात्रवृत्ति मिलती है । संस्थानों ने छात्रों की न केवल जाति ही बदल दी, बल्कि छात्रों के विषय तक बदल दिए गए। संस्थान छोड़ चुके छात्रों को संस्थान का फर्जी छात्र दिखाकर और उनके विषय बदलकर छात्रवृत्तियां हड़पी गईं। यही नहीं, छात्रवृत्तियां हड़पने के लिए डे-स्कॉलर छात्र को होस्टलियर छात्र दर्शाया गया। साथ ही उनके सारे दस्तावेज ही फर्जी बनाकर छात्रवृत्ति की रकम डकार ली गई। छात्रवृत्ति हड़पने के लिए राज्य के बाहर बैंकों में छात्रों के बैंक खाते खोले गए। यह खुलासा 265 करोड़ के कथित घोटाले की जांच में किए गए हैं।

पिछल साल केस दर्ज

पुलिस ने पिछले साल 19 नवंबर को छोटा शिमला थाने में एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन ज्यादा तहकीकात नहीं की, जिस पर राज्य सरकार ने इसकी गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच के लिए मामला सौंप दिया। अब इसमें पहली चार्जशीट होगी।


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