55 वर्ष बाद मिला न्याय
आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल ने हक में सुनाया फैसला, परिवार खुश
पालमपुर –कांगड़ा जिला के दो भूतपूर्व सैनिकों को 55 वर्ष के बाद आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल चंडीगढ़ के सर्किट बैंच से न्याय मिलने से उनके परिवारों में खुशी का माहौल है। भूतपूर्व सैनिक कर्मचंद व रिखी राम के इन मामलों की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता सीडी सिंह गुलेरिया ने की। कर्मचंद डोगरा गांव व डाकघर चाहड़ी तहसील नगरोटा बगवां जिला कांगड़ा पांच मार्च, 1963 को डोगरा रेजिमेंट में भर्ती हुआ था, लेकिन चार सितंबर, 1964 को एक वर्ष 184 दिन की नौकरी के उपरांत मेडिकल बोर्ड ने उसे बिना किसी पेंशन के घर भेज दिया था । न्यायाधीश मोहम्मद ताहिर व वाइस एडमिरल एजी थपिलियाल की बैंच ने एक फैसले के तहत इस सैनिक को 50 प्रतिशत दिव्यांग पेंशन का हकदार माना है। इसी तरह भूतपूर्व सैनिक रिखी राम निवासी देहरी डाकघर हड़सर तहसील जवाली जिला कांगड़ा, जिसे 1969 में मेडिकल बोर्ड ने बिना पेंशन के घर भेजा था, उसे भी न्यायालय ने 40 प्रतिशत दिव्यांग पेंशन का हकदार माना है । इन दोनों मामलों के तहत दोनों सैनिकों को दिव्यांग पेंशन, जिसमें सर्विस पेंशन व दिव्यांग पेंशन शामिल है। न्यायालय में केस दायर करने के तीन वर्ष पहले से यह हक उन्हें मिलेगा। इन दोनों मामलों की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सैनिक लीग के अध्यक्ष सीडी सिंह गुलेरिया ने की है।
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