अंधविश्वास की पराकाष्ठा

By: Nov 13th, 2019 12:05 am

सुखदेव सिंह 

लेखक, नूरपुर से हैं

देवताओं की नगरी देवभूमि में भी लोग अंधविश्वास और झूठे आडम्बरों में फंसे हुए हैं। एक इनसान होकर दूसरे इनसान के साथ पशुओं से भी बदतर सलूक करना बेहद ही अफसोसजनक बात है। कानून का पालन सबको करना चाहिए, ऐसा हमारी कानूनी व्यवस्था का नियम है। देवी- देवता क्या सिर्फ  समाज के ठेकेदारों का ही हित साधते, गरीब लोगों से उनका कोई सरोकार नहीं है। हिमाचल प्रदेश में आए दिन मानवता को तार-तार करने वाली घटनाएं घटित होकर समाज का सौहार्द बिगाड़ने का काम कर रही हैं। गरीब की झोली में अगर मंदिर की दहलीज पार करते ही फूल गिर जाए तो उसे भी देवभूमि में अपशगुन मान लिया जाता है। सरकारी कर्मचारी अगर अपनी जात छिपाकर कहीं रात काट ले तो उससे धर्म के ठेकेदार बेतहाशा जुर्माना राशि वसूलते हैं। गरीब समुदाय के लोगों को श्मशान घाट पर उनका अंतिम दाह संस्कार किए जाने से रोका जाता है। यहां तक राष्ट्र निर्माता भी जातिवाद का खेल बच्चों के साथ खेलकर शांत प्रिय हिमाचल प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाकर खड़ा कर देते हैं। ताजा घटनाक्रम में एक लड़की को मनचले युवा रेलवे ट्रैक पर उसके साथ सरेआम  छेड़छाड़ किए जाने का वीडियो क्लिप वायरल करते हैं। पुलिस ने ऐसे आवारा मजनुओं के खिलाफ  कार्रवाई करके एक सराहनीय पहल की है। अमानवीय घटनाओं की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल करके हिमाचल प्रदेश को कलंकित किए जाने की घटिया राजनीति का खेल खेला जा रहा है। पुलिस को तमाम उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी होगी जो इस तरह की घटनाओं की पब्लिसिटी करने में अहम भूमिका निभाते हैं। जिला मंडी सरकाघाट में भूतपूर्व सैनिक की असहाय पत्नी को अंधविश्वास के फलीभूत होकर उसके साथ अमानवीय व्यवहार किए जाने से मानवता तार-तार होकर रह गई है। सवाल यह उठता है कि आखिर किस सदी में हम लोग जी रहे हैं।

कभी दलितों को मंदिरों में जाने से रोककर माहौल को तनावपूर्ण बनाया जा रहा है। सरकाघाट की यह घटना हिमाचल प्रदेश के लिए बहुत शर्म की बात है। देश की सरहदों पर जान की बाजी लगाने वाले सैनिक वीरों के परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसे लेनी होगी? ऐसे वीर जवान सरहदों पर तो फतेह पा रहे, मगर हमारे समाज के ठेकेदारों से निपट नहीं पा रहे हैं। एक विधवा बुजुर्ग महिला जिसकी गांव के लोगों द्वारा उसकी हर संभव मदद करनी चाहिए, मगर देवताओं की नगरी में ऐसा करने की बजाय इसके विपरीत मानवता को शर्मसार किया गया है। महिला पर आरोप है कि वह डायन है इस वजह से गांव में अनिष्ठ कार्य हो रहे हैं। ऐसा मानकर गांव के युवा महिला का मुंह काला कर उसके गले में जूतों की माला पहनकर उसे नंगे पांव जबरदस्ती गांव में घुमाया जाता है। लाचार महिला के बाल तक काट दिए जाते है और वह बार -बार दया की भीख मांगती रही, मगर उस दानवों की भीड़ में किसी एक व्यक्ति के कानों तक उसकी चीखें नहीं सुनाई पड़ी। ताजा घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होते ही लोगों में इनसानियत पैदा होकर इसका विरोध किए जाने पर मजबूर कर रही है। वीडियो क्लिप में नन्हें बच्चों समेत गांव की महिलाएं भी इस अमानवीय घटना का विरोध किए जाने की बजाय उसकी समर्थक ही दिख रही हैं।

झूठे आडम्बरों में आस्था रखने वाले लोग इनकी शरण में जाकर फंसकर रह जाते हैं। क्या कभी किसी तांत्रिक बाबा ने किसी व्यक्ति को ऐसा कहकर वापस भेजा हो कि उसे कुछ नहीं हुआ है। तांत्रिक लोगों को आस पड़ोस के लोगों पर उन्हें जादू, टोना किए जाने का दावा करके अपनी दुकानदारी चला रहे हैं। देवताओं की शरण में रहने वाली जनता के ऊपर कोई जादू टोना भी कर सकता है, यकीन नहीं होता है। नतीजतन समाज बिखराव की ओर अग्रसर हो रहा है। तांत्रिक बाबा एक रात के लोगों से हजारों रुपए उनका इलाज किए जाने के वसूलते जा रहे हैं। महंगी बकरियां और मुर्गे तक जादू टोनों का इलाज किए जाने की एवज में लगाए जा रहे हैं। ऐसे ढोंगी चेलों ने एक ही परिवार के अन्य को आपस में एक-दूसरे पर शक किए जाने को लेकर मजबूर कर दिया है। प्रदेश सरकार को सभी मंदिरों का अधिग्रहण करके अपने अधीन कर लेना होगा ताकि खुद को देवता मानने वाले बाबाओं पर अंकुश लगाया जा सके। सोशल मीडिया सिक्योरिटी को दरकिनार करके ऐसी अमानवीय घटनाओं की वीडियो क्लिप वायरल करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है।

 


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