ऐतिहासिक अवशेषों की अनदेखी

By: Nov 20th, 2019 12:20 am

सालवाला के नाग देवता मंदिर में देखरेख के अभाव में खंडित हो रही रियासतकालीन बहुमूल्य मूर्तियां

पांवटा साहिब –कभी सिरमौर रियासत की राजधानी रही सिरमौरी ताल के नजदीक गिरिपार क्षेत्र की सालवाला पंचायत के ननसेर में स्थित नाग देवता मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान मिली देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियों के अवशेष अनदेखी का शिकार हो रहे हैं। देखरेख के अभाव मंे 11वीं शताब्दी की इन बहुमूल्य मूर्तियों के अवशेष खंडित होने की कगार पर हैं। धर्म पे्रमियों ने रियासतकालीन इन मूर्तियों के अवशेषों को बचाने के लिए सरकार द्वारा पुख्ता प्रबंध करने की मांग उठाई है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक उक्त मंदिर के निर्माण के लिए करीब एक दशक पहले की गई खुदाई के दौरान मिली देवी-देवताओं की नक्काशी वाली 20 से अधिक मूर्तियां व मूर्तियों के अवशेष खुले आसमान तले हैं। इनकी देखरेख न होने के कारण यह रियायतकालीन अवशेष खंडित हो रहे हैं। इन अवशेषों की देखरेख न तो पुरातत्व विभाग कर रहा है न ही सरकार व प्रशासन की ओर से इस ओर कोई ध्यान दिया जा रहा है। स्थान के अभाव में मंदिर समिति भी इन मूूर्तियों को सुरक्षित स्थान पर नहीं रख पा रही है। गिरिपार क्षेत्र की पांवटा तहसील के सालवाला पंचायत के ननसेर में कई साल पहले नाग देवता मंदिर समिति की ओर से नए मंदिर के निर्माण के लिए खुदाई करवाई गई थी। इस खुदाई में रियासतकालीन देवी-देवताओं की मूर्तियों के अवशेष मिले थे। इन अवशेषों में 20 से अधिक विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं और कई गोलाकार व नक्काशी वाली कलाकृतियां भी हैं। पहले तो खुदाई के दौरान ही कई मूर्तियां खंडित हो गई। उस वक्त प्रदेश पुरातत्व विभाग इसकी जांच के लिए यहां आया। प्रदेश पुरातत्व विभाग की ओर से उस वक्त इन मूर्तियों व अवशेषों की जांच की गई और बताया गया कि यह अवशेेष 11वीं शताब्दी के हैं और सिरमौर रियासत के तत्त्कालीन राजा ढाक प्रकाश के समय मंदिर निर्माण के वक्त इन मूर्तियों को पत्थरों पर नक्काशी कर बनवाया गया था, लेकिन उसके बाद बाढ़ की चपेट में आने से प्राचीन नाग देवता मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो गया था। मंदिर समिति स्थान के अभाव में इन्हें सुरक्षित स्थान पर नहीं रख पा रही है। उधर, इस बारे नाग देवता मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष दीपेंद्र भंडारी ने कहा कि मंदिर में कई साल पहले जो अवशेष खुदाई में निकले हैं उसकी ओर सरकार तथा पुरातत्व विभाग कोई ध्यान नहीं दे रही है। सरकार को इन अवशेषों को संजोए रखने के लिए कोई कदम उठाना चाहिए। इसकी देखरेख व रखरखाव की जरूरत है। समिति के पास इतना बजट नहीं है कि इनका सही ढंग से रखरखाव कर सके।

 


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