कृषि विश्वविद्यालय से विभाग ने मिलाया हाथ

By: Nov 1st, 2019 12:01 am

भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की सेवाओं पर सहयोग को एमओयू किया साइन

पालमपुर – प्रदेष कृषि विश्वविद्यालय और प्रदेश कृषि विभाग ने भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी पर मिलकर काम करने की तैयारी की है। इस कड़ी में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं के लिए हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। पहले चरण में पांच वर्षों की अवधि के लिए एमओयू साइन किया गया है। प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अशोक कुमार सरयाल की मौजूदगी में किए गए एमओयू के तहत सेंटर फॉर जियोइन्फारमेटिक्स रिसर्च एंड ट्रेनिंग केंद्र, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (रफ्तार) जैसी विभिन्न कृषि स्कीमों में तैयार की गई संपत्ति के जियोटैगिंग करने में अपनी विशेषज्ञता प्रदान करेगा। इन परिसंपत्तियों की जानकारी का उपयोग करने के लिए बुनियादी ढांचे जैसे अचल संपत्तियों के जीपीएस निर्देशांक मोबाइल ऐप के साथ प्राथमिकता के आधार पर लिया जाएगा। योजनाओं के राष्ट्रीय उद्देश्यों को पूरा करने और भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के लिए कृषि को ई-गवर्नेंस के साथ जोड़ने के लिए राष्ट्रीय रिमोर्ट सेंसिंग सेंटर, इसरो, हैदराबाद द्वारा विकसित भुवन पोर्टल पर जियोटैग की हुई संपत्ति को सार्वजनिक रूप से भी उपलब्ध कराया जाएगा। कृषि विभाग की ओर से निदेशक कृषि डा. आरके कौंडल, कृषि विवि की तरफ से अनुसंधान निदेषक डा. डीके वत्स तथा जियोइन्फारमैटिक्स रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर की ओर से कार्यक्रम निदेशक डा. शारदा सिंह ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर कालेज ऑफ बेसिक साइंसेज के डीन डा. एके बसंदराय और प्रसार शिक्षा निदेषक डा. वाईपी ठाकुर उपस्थित थे। सीजीआरटी के पास हितधारकों तक उत्पादन की जानकारी पहुंचाने के लिए वेब जीआईएस पोर्टल के माध्यम से परिणाम प्रसारित करने की विशेषज्ञता है। भू-सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित डायनामिक एग्रो-इकोलाजिकल जोन और हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर इन्फारमेशन फाइल्स वाले डिजिटल मैप डाटा के रूप में प्रदान की जाने वाली विभिन्न जीआईएस सेवाओं के उत्पादन और समर्थन में कृषि विभाग के साथ सहयोग होता रहा है।


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