गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति

By: Nov 18th, 2019 12:07 am

एनडीएफ के साजित प्रेमदासा ने मानी हर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई

कोलंबो –श्रीलंका पोडुजाना पेरमुना (एसएलपीपी) के उम्मीदवार गोटाबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति चुनावों में जीत दर्ज की है। उन्हें 53-54 फीसदी वोट मिले हैं। वहीं, न्यू डेमोक्रेटिक फं्रट (एनडीएफ) के साजित प्रेमदासा दूसरे स्थान पर हैं। बता दें कि श्रीलंका में शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान हुआ था। श्रीलंका में कुल 25 जिले हैं, जो नौ प्रांतों में हैं। श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए शनिवार को करीब 1.6 करोड़ पात्र मतदाताओं में से लगभग 80 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। तमिल-बहुल उत्तरी प्रांत में मतदान प्रतिशत लगभग 70 प्रतिशत दर्ज किया गया। वहीं जाफना जिला में 66 प्रतिशत दर्ज हुआ। पूर्व में युद्ध की मार झेल चुके जिलों किलिनोच्ची में 73 प्रतिशत, मुल्लातिवु में 76 प्रतिशत, वावुनिया में 75 प्रतिशत और मन्नार में 71 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ। यह प्रतिशत 2015 के राष्ट्रपति चुनाव से थोड़ा कम है, जब औसत मतदान प्रतिशत 81.52 प्रतिशत दर्ज हुआ था। श्रीलंका में घातक आतंकवादी हमले के सात महीने बाद कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान हुआ था। राष्ट्रपति पद के लिए 32 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में थे। श्रीलंका की सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार साजित प्रेमदासा ने देश में राष्ट्रपति पद के चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली और अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी एवं पूर्व रक्षा सचिव गोटाबाया राजपक्षे को बधाई दी। उधर, राजपक्षे की जीत पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई संदेश दिया। पीएम ने लिखा कि श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए गोटाबाया राजपक्षे को बधाई। आशा है दोनों देश शांति, समृद्धि और क्षेत्र की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे।

राजपक्षे के जीतने के भारत के लिए मायने

इन चुनावों पर भारत की भी नजर थी। राजपक्षे का जीतना भारत के लिए झटका साबित हो सकता है। दरअसल, राजपक्षे चीन समर्थक माने जाते हैं। पहले ही कहा जा रहा था कि अगर उनकी जीत हुई तो भारत के लिए यह अच्छी बात नहीं होगी। दूसरी तरफ सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार सजित प्रेमदासा, जिन्हें हार मिली है उनका रुख स्पष्ट नहीं था। पहले वह चीन के आलोचक थे, लेकिन अब उनके सुर में नरमी देखी जा रही थी। गोटाबाया श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं। पहले से ही उनके जीते जाने की उम्मीद थी। राजपक्षे खेमे को तमिल टाइगर्स का खात्मा करने की वजह से लोग काफी पसंद करते हैं।

राजपक्षे काल में बढ़ी थी चीन से नजदीकियां

महिंदा राजपक्षे के राष्ट्रपति रहते चीन और लंका करीब आए। उस वक्त 2014 में राजपक्षे ने दो चीनी सबमरीन को उनके वहां खड़ा करने की इजाजत तक दी थी। अब उनके भाई गोटाबाया के जीतने के बाद श्रीलंका और चीन की नजदीकियां फिर बढ़ सकती हैं। इस स्थिति में चीन हिंद महासागर पर अपनी पकड़ ज्यादा मजबूत कर सकता है। चीन लंबे वक्त से इसकी कोशिशों में लगा है।

 


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