जमीन का मालिकाना हक दो

By: Nov 27th, 2019 12:23 am

ग्रामीण भाखड़ा विस्थापितों ने प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन, काटे कनेक्शन बहाल करने की मांग

बिलासपुर-ग्रामीण भाखड़ा विस्थापितों ने उनके कब्जे वाली जमीन का मालिकाना हक मांगा है। इस बाबत मंगलवार को ग्रामीण भाखड़ा विस्थापित समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला मुख्यालय पहुंचकर जिलाधीश के सहायक आयुक्त सिद्धार्थ आचार्य से मुलाकात की और उनके माध्यम से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन प्रेषित किए। ज्ञापन में विस्थापितों ने अवैध कब्जों के नाम पर काटे गए भाखड़ा विस्थापितों के बिजली-पानी के कनेक्शन तुरंत बहाल करने तथा विस्थापितों के बच्चों को सरकारी और बीबीएमबी की नौकरियों में आरक्षण देने की वकालत भी की है। ग्रामीण भाखड़ा विस्थापित समिति के अध्यक्ष देशराज शर्मा ने बताया कि साठ के दशक में भाखड़ा बांध के निर्माण से 350 से अधिक गांवों की लगभग 41 हजार एकड़ जमीन गोबिंदसागर में जलमग्न हुई थी। इनमें बिलासपुर जिला के पुराने शहर के साथ 205 गांव शामिल हैं। भूमि अधिग्रहण के बाद विस्थापितों के पुनर्वास के लिए न तो तत्कालीन केंद्र और न ही प्रदेश सरकार ने कोई नीति बनाई। ऐसे में बड़ी संख्या में विस्थापित आसपास के जंगलों में बस गए। कई विस्थापितों को हरियाणा में पुनर्वासित किया गया, लेकिन उनमें से कई परिवार वापस लौटकर दूसरे विस्थापितों के साथ जंगलों में ही बस गए। उन्होंने बताया कि 1971 में शहर और ग्रामीण क्षेत्र के लिए पुनर्वास के नियम अलग किए गए। हालांकि विस्थापन के 13 वर्षों के बाद कुछ विस्थापितों को बसाया गया, लेकिन उन्हें दी गई जमीन की निशानदेही सही ढंग से नहीं करवाई गई। इस गलती की वजह से विस्थापितों को जमीन किसी और स्थान पर दी गई, जबकि उन्होंने अपने आशियाने कहीं और बना लिए। उनके मकानों को अब अवैध कब्जों की संज्ञा दी जा रही है। इसी आधार पर कई विस्थापितों के बिजली और पानी के कनेक्शन तक काट दिए गए हैं। देशराम शर्मा ने इस बात पर गहरा दुख जताया कि भाखड़ा बांध बनने के बाद केंद्र व प्रदेश में कई सरकारें आई और चली गई, लेकिन विस्थापितों की इस गंभीर समस्या को किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया। बांध निर्माण के समय किए गए तमाम वायदे व दावे हवा हवाई ही साबित हुए। प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को प्रेषित किए गए ज्ञापन मंे समिति के नुमाइंदों ने भाखड़ा विस्थापित बहुल क्षेत्रों का बंदोबस्त करवाकर उन्हें उनके कब्जे वाली जमीन का मालिकाना हक देने, उनके बिजली व पानी के कनेक्शन तुरंत बहाल करने, उन्हें बिजली-पानी की निःशुल्क सुविधा देने, उन्हें गोबिंदसागर झील से पीने व सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी देने, उनके बच्चों को सरकारी और बीबीएमबी की नौकरियों में आरक्षण देने, भाखड़ा बांध में विद्युत उत्पादन से प्रदेश को मिलने वाला 7.19 फीसदी हिस्सा विस्थापितों की सुविधाओं पर खर्च करने, प्लाट से वंचित विस्थापितों को प्लॉट देने, मछुआरों के हितों की रक्षा करने के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाने, गोबिंदसागर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने तथा जलाशय पर पुलों का निर्माण करने की मांग की है। इस प्रतिनिधिमंडल में हाकम सिंह, रमजान, श्रीराम, जगदीश चंद, बचनाराम, अजय कुमार, रोशनलाल, अनंतराम, विजयपाल, जोगेंद्रपाल, कृष्णदत्त, आशीष कुमार, रणजीत, कर्म सिंह, जीतराम, बलदेव, राजकुमार, ज्ञान सिंह और मदनलाल तथा नंदलाल आदि शामिल रहे।


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