जुब्बल-सिरमौर के संबंध अच्छे नहीं थे

By: Nov 13th, 2019 12:19 am

रूप चंद का नाम जुब्बल वंशावली में अवश्य मिलता है, जो संभवतः सोलहवीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। उस समय जुब्बल और सिरमौर के आपसी संबंध अच्छे नहीं थे। माही प्रकाश का गुलेर के राजा की सहायता से हाटकोटी में युद्ध करने का जो उल्लेख मिलता है,संभवत: जुब्बल के राजा रूपचंद के साथ का ही हो सकता है…

गतांक से आगे … 

यदि एक राजा का राज्यकाल 20 वर्ष रखा जाए तो विहंगमणी से लेकर भूपाल तक 940 वर्ष बनते हैं। यदि यह वर्ष विहंगमणी से आगे जोड़ा जाए तो 1200 ई. तक पहुंचते थे। इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यदि वीर सेन ने कुल्लू के राजा भूपाल पर आक्रमण किया हो तो वह 13वीं शताब्दी के प्रथम चरण में किया होगा और इसी समय सुकेत राज्य की नींव पड़ी होगी।  सुकेत की प्राचीनतम स्थापना को सिद्ध करने के लिए एक यह उदाहरण भी रखा गया है कि सिरमौर के राजा माहीप्रकाश 1108-1117 ने क्योंथल के राजा रूपचंद से अपने लिए उसकी पुत्री की मांग की । यह तर्क देकर सुकेत की स्थापना की तिथि को दसवीं-11वीं शताब्दी से पूर्व की सिद्ध करने का प्रयत्न किया गया है। यह ठीक नहीं लगता। क्योंकि सिरमौर में दूसरे राजवंश की स्थापना जैसलमेर के राजकुमार सुभंश प्रकाश ने संवत 1252 अर्थात 1195 ई. में की थी और माही प्रकाश संवत 1716 अर्थात 1659 में गद्दी पर बैठा। सिरमौर गजेटियर में माही प्रकाश के राज्य की तिथि 1654-1664 लिखी है। क्योंथल के जिस राजा के नाम का उल्लेख किया गया है, उसके नाम के साथ चंद लिखा मिलता है, जो वहां की परंपरा के अनुकूल नहीं है। क्योंथल के प्रत्येक राजा के नाम के साथ सेन शब्द लगता है। रूप चंद का नाम जुब्बल वंशावली में अवश्य मिलता है, जो संभवतः सोलहवीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। उस समय जुब्बल और सिरमौर के आपसी संबंध अच्छे नहीं थे। माही प्रकाश का गुलेर के राजा की सहायता से हाटकोटी में युद्ध करने का जो उल्लेख मिलता है,संभवत ः जुब्बल के राजा रूपचंद के साथ का ही हो सकता है। गुलेर की स्थापना कटोच वंशी हरिचंद ने 1415 ई. के आसपास की थी। अतः यह तर्क भ्रांतिपूर्ण है।

सुकेत की वंशावली में सुकेत के संस्थापक वीरसेन से पहले के नामों को देखा जाए तो उसमें वीरसेन से पहले के नामों को देखा जाए तो उसमें वीरसेन के पिता का नाम रूपसेन और उसके पिता का नाम सूर्यसेन मिलता है। समर्यसेन को बंगाल का अंतिम शासक लिखा है। बंगाल के सेन वंश की वंशावली में सूर्य सेन से पहले शासक का नाम विश्वरूप सेन है जो वंश के प्रसिद्ध शासक लक्ष्मण सेन (1185-1206) का पूत्र था। सन् 1202  ई. में मुहम्मद बख्तियार खिलजी ने सेनों की राजधानी नदियां पर आक्रमण करके उसे हथिया लिया था। लक्ष्मण सेन वहां से अपनी राजधानी पूर्व बंगाल में विक्रमपुर ले गया जहां उसका पुत्र विश्व रूप सेन राज्य करता रहा। जब मुसलमानों का आक्रमण बढ़ता गया तो विश्वरूप सेन का पुत्र सूर्यसेन विक्रमपुर से आकर प्रयाग में बसने लगा और वहां उसकी मृत्यु हो गई। यह सेन वंश का अंतिम शासक था। इसका पुत्र रूपसेन प्रयाग को छोड़कर पंजाब की और आया और शिवालिक की तलाहटी में सतलुज के किनारे बस गया और उस जगह को ‘रोपड़’ का नाम दिया गया। वहां उसने एक किला भी बनाया।      -क्रमशः

 


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