डा. येशी ढोंडेन पंचतत्त्व में विलीन
मकलोडगंज में हुआ अंतिम संस्कार, सुबह छह बजे निकली अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोगों हुए शरीक
धर्मशाला – विश्वविख्यात और पद्मश्री अवार्डी डा. येशी ढोंडेन के निधन के तीन दिन वाद शुक्रवार सुबह मकलोडगंज में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। भारी ठंड व बारिश के बाबजूद तड़के छह बजे डा. ढोंडेन की शवयात्रा निकाली गई। तिब्बती व स्थानीय लोगों ने सैकड़ों की संख्या में एकत्र होकर डा. यशी की अंतिम यात्रा में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इससे पूर्व करीब 50 से अधिक तिब्बती मोंक्स ने शमशान घाट पर तिब्बती विधि-विधान से पूजा अर्चना की। संस्कार से पहले उन्होंने तिब्बती पद्धति के अनुशार शव को पहले तेल व घी और उसके बाद चीनी से स्नान करवाया। इसके बाद पार्थिव देह को हवन व विभिन्न तरह ही जड़ी-बूटियों से ढक कर अंतिम संस्कार के लिए रखा गया। वहीं, हिंदु पद्धति से अलग वहां पहुंचे लोगों को चाय और तिब्बती बे्रड दिए गए। इस मौके पर एसडीएम हरीश गज्जू, एएसपी दिनेश कुमार, नगर निगम के डिप्टी मेयर ओंकार नैहरिया, होटल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष दिनेश कपूर, अजय मनकोटिया, तिबेतन सेटलमेंट ऑफिसर, व्यापार मंडल, टैक्सी यूनियन सहित क्षेत्र के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों समेत तिब्बती व स्थानीय लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे। डा. ढोंडेन 93 साल के थे। वह उस असाध्य रोग कैंसर के डाक्टर थे जिसका उपचार आज भी कई देशों में संभव नहीं है। डा. ढोंडेन इसी कैंसर का प्राकृतिक पद्दति के साथ इलाज करते थे। वह कई वर्षों तक बौद्ध धर्मगुरू दलाईलामा के भी डाक्टर थे।
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