डा. रजनीश की नेम प्लेट हटी, मुकंद लाल की लगी

By: Nov 21st, 2019 12:01 am

शिमला  – राज्य के सबसे पुराने और बड़े संस्थान आईजीएमसी में प्रिंसीपल के तबादले का मामला कोर्ट में जाने के बाद स्वास्थ्य जगत में काफी हलचल है। आईजीएमसी के पिं्रसिपल द्वारा अपने तबादले को लेकर कोर्ट में जाने के बाद अब मरीज और आईजीएमसी प्रशासन इंतजार कर रहे हैं कि आखिर कोर्ट का क्या फैसला होगा। फिलहाल बुधवार को प्रिंसिपल के  कमरे के बाहर डा. रजनीश पठानिया की नेम प्लेट हट गई और दोबारा से डा. मुकुंद लाल के नाम की पट्टिका लग गई। बहरहाल अब हिमाचल के स्वास्थ्य जगत में इंतजार किया जा रहा है कि आईजीएमसी में हिप रिप्लेसमेंट सर्जन पिं्रसीपल की कुर्सी पर बैठेंगें या फिर हार्ट सर्जन को प्रिंसिपल पद मिल पाएगा। अभी डा. मुकुं द द्वारा कोर्ट से स्टे लेने के बाद उन्होंने फिर से आईजीएमसी के पिं्रसिपल की कुर्सी संभाल ली है। हालांकि सरकार के तबादला आदेशों के बाद मंडी से डा. रजनीश पठानिया ने भी आईजीएमसी में बीते सोमवार को पिं्रसिपल पद पर ज्वाइन कर लिया था, लेकिन स्टे ऑर्डर आने के बाद अब डा. रजनीश पठानिया भी वापस मंडी कालेज नहीं जा सकते हैं। वहां पर अभी पिं्रसिपल की कुर्सी डॉ महेंद्रू को सौंप दी गई है।  अब इस बारे में प्रदेश के हार्ट सर्जन डा. रजनीश पठानिया भी कहते हैं कि अब कोर्ट और सरकार के आदेशों के बाद अगला कदम उठा पाएंगें। गौर हो कि सरकार ने 16 नवंबर को डाक्टर मुकुंद का तबादला मेडिकल कालेज नाहन के लिए किया था, इसे मुकंद लाल ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। जिस पर अदालत ने तबादला आदेशों पर फिलहाल रोक लगा दी। वरिष्ठ न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ ने डाक्टर मुकुंद द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात उपरोक्त अंतरिम आदेश पारित करते हुए प्रदेश सरकार से जवाब तलबी की है।

यह है सारा मामला

सरकार ने 16 नवंबर को डाक्टर मुकुंद को आईजीएमसी से मेडिकल कालेज नाहन स्थानांतरित किया और डा. रजनीश पठानिया को यहां का प्रिंसीपल नियुक्त किया। याचिका में दिए तथ्य के अनुसार इस स्थानांतरण आदेश से याचिकाकर्ता के कैरियर को प्रभावित किया गया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि यह स्थानांतरण आदेश डा. रजनीश पठानिया को एडजस्ट करने के लिए पारित किए हैं। याचिकाकर्ता ज्वाइंट रिप्लेसमेंट में स्पेशलिस्ट है। इसके लिए उसने 2007 में जर्मनी से प्रशिक्षण लिया था एवं हफ्ते में छह से नौ रोगियों की सर्जरी करते हैं। सर्जरी के लिए आईजीएमसी में सभी सुविधाएं हैं, परंतु नहान में कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। मामले पर अगली सुनवाई चार दिसंबर को होगी।


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