दृष्टिहीनों का बैकलॉग क्यों नहीं भर रही सरकार

By: Nov 21st, 2019 12:01 am

राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ ने उठाया सवाल,

शिमला  – आखिर दृष्टिहीनों का बैकलॉग प्रदेश सरकार कब भरेगी। यह सवाल राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ ने प्रदेश सरकार के समक्ष उठाया है। कुलदीप ठाकुर संयोजक राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ ने यह प्रश्न उठाया है। संघ के मुताबिक जो पद निकलते भी हैं, उन पर जाली मेडिकल प्रमाणपत्र प्राप्त कर दूसरे लोग ही बाजी मार लेते हैं। दृष्टिहीनों के अधिकारों के लिए गठित कमेटियों में ऐसे लोग लिए गए हैं, जो सरकार की हां में हां मिलाते हैं। संघ ने साफ किया है कि हिमाचल सरकार द्वारा चार नवंबर, 2019 को एक अधिसूचना जारी करके 29 मार्च, 2013 की उस अधिसूचना को निरस्त किया गया है। इसके अनुसार दृष्टिहीन सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 से 60 वर्ष की गई थी। वहीं, हिमाचल में दृष्टिहीनों के लिए केवल 2 स्कूल शिमला व मंडी के सुंदरनगर में चल रहे हैं, जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। इसलिए अधिकांश दृष्टिहीनों को पढ़ने के लिए प्रदेश से बाहर जाना पड़ता है। हिमाचल में दृष्टिहीनों के लिए कोई प्रशिक्षण केंद्र भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां सरकार ने अभी तक 1995 से हिमाचल सरकार के विभिन विभागों में खाली पड़ा बैकलॉग भी नहीं भरा गया है।

2 दिसंबर को आंदोलन

राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ हिमाचल शाखा ने दो दिसंबर, 2019 से महा आंदोलन करने का निर्णय लिया है। साथ ही इस बार के दिव्यांग दिवस को काला दिवस के रूप में मनाने का निर्णय भी लिया है। संघ का कहना है कि प्रत्येक दृष्टिहीन/ दिव्यांग को वर्ष भर दिव्यांग दिवस की प्रतीक्षा रहती है। इस बार भी संगठन इस दिवस को हर्षोउल्लास के साथ मनाना चाहता था, पर सरकार की दिव्यांगों के प्रति सोच व सरकार द्वारा दृष्टिहीनों के साथ  अन्याय किए जाने के कारण उन्हें यह कठोर निर्णय लेने पर मजबूर किया है। जहां सारा विश्व दिव्यांग दिवस मनाएगा, वहीं हिमाचल के दृष्टिहीन आंदोलन करेंगे।

58 साल में ही रिटायर होंगे दिव्यांग कर्मचारी

शिमला – जयराम सरकार ने पूर्व वीरभद्र सरकार का एक फैसला पलट दिया है। इससे सरकारी अदारे में लगे दृष्टिहीन कर्मचारियों को झटका लगा है। इनके सेवाकाल को घटा दिया गया है। वीरभद्र सिंह सरकार ने वर्ष 2013 में फैसला लिया था कि दृष्टिहीन कर्मचारियों का सेवाकाल 58 साल आयु वर्ग की बजाय 60 साल होगी, जिसके बाद इन कर्मचारियों को दो साल का एक्स्ट्रा बेनेफिट मिला, मगर अब इसे खत्म कर दिया गया है। इस संबंध में वित्त विभाग ने आदेश जारी किए हैं, जिसमें कहा गया है कि दृष्टिहीन कर्मचारियों का बढ़ा हुआ सेवाकाल वापस पुराने जैसा कर दिया गया है, क्योंकि दूसरे कर्मचारी भी 58 साल में रिटायर होते हैं और इनके  लिए भी यही नियम लागू होंगे। सूत्रों के अनुसार ऐसा फैसला सरकार को मजबूरी में लेना पड़ा है, क्योंकि इसे  हथियार बनाकर विकलांग कोटे में लगे दूसरे कर्मचारी भी अपने सेवाकाल को बढ़ाने की मांग करने लगे हैं। कुछ लोगों ने इसे लेकर कोर्ट में चुनौती भी दी, जिस पर सरकार के सामने परेशानी खड़ी हो गई थी। बताया जा रहा है कि सरकारी विभागों, बोर्डों व निगमों में कोटे के आधार पर दिव्यांग श्रेणी के करीब 22 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। यदि सरकार सेवाकाल बढ़ाए जाने के नियम को सभी पर लागू करती, तो इससे उसपर काफी ज्यादा अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ सकता है।


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