पंजाब में पराली जलाने वाले 2923 किसानों के विरुद्ध कार्रवाई :अमरेंद्र

By: Nov 3rd, 2019 7:16 pm

चंडीगढ़- पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सरकार की ओर से पराली जलाने के विरूद्ध शुरु की गई मुहिम के तहत एक नवंबर तक सामने आए 20,729 मामलों में अब तक 2923 किसानों के विरुद्ध कार्रवाई की जा चुकी है। ज्ञातव्य है कि पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष ऐसे मामलों में दस से बीस प्रतिशत तक की कमी आने की संभावना है। पिछले वर्ष पराली जलाने के 49 हजार मामले सामने आए थे जबकि इस वर्ष राज्य सरकार को अब तक प्राप्त रिपोर्टों के मुताबिक 20,729 मामले सामने आए हैं और 70 प्रतिशत धान की फ़सल काटी जा चुकी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज यहां कहा कि उच्च न्यायालय की तरफ से किसानों को पिछले वर्ष किये जुर्मानों की वसूली करने पर लगाई रोक के बावजूद राज्य सरकार ने पराली को आग लगाने के ख़तरनाक रुझान के विरुद्ध ज़ोरदार मुहिम चलाई हुई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण से पैदा हुई अति गंभीर स्थिति के बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है जिस पर वह विचार करके सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस समस्या से भली भाँति परिचित है और पराली जलाने की घटनाएँ रोकने के लिए वचनबद्धता के साथ काम कर रही है। इस मुहिम के तहत गठित की गई टीमों ने एक नवंबर तक पराली को आग लगाने के 11286 घटनास्थलों का दौरा किया और 1585 मामलों में वातावरण को प्रदूषित करने के मुआवज़े के तौर पर 41.62 लाख रुपए का जुर्माना किसानों पर लगाया है तथा 1136 मामलों में खसरा गिरदावरी में रैड एंट्री की और कानून का उल्लंघन करने वाले 202 मामलों में एफ.आई.आर. /कानूनी कार्यवाही अमल में लाई गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि आग लगाने की बाकी घटनाओं की तस्दीक करने और वातावरण प्रदूषित करने का मुआवज़ा वसूलने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने बिना सुपर एस.एम.एस. के चलने वाली 31 कम्बाईनों को वातावरण प्रदूषित करने के मुआवज़े के तौर पर 62 लाख रुपए जुर्माना किया है। इस समस्या से निपटने के लिए यह कदम काफ़ी नहीं हैं क्योंकि पंजाब में बहुत से किसान पाँच एकड़ से कम ज़मीन के मालिक हैं जिस कारण पराली का प्रबंधन करना उनको आर्थिक तौर पर वाजिब नहीं बैठता। इस हालत में केंद्र सरकार की तरफ से मुआवज़ा देना ही एकमात्र हल है। उन्होंने कहा कि इस मसले को राजनीति के साथ नहीं जोड़ा जा सकता बल्कि यह हमारे लोगों के भविष्य का सवाल है जिससे राजनीति बहुत परे है। गेंद अब केंद्र सरकार के पाले में है क्योंकि बहुत से राज्यों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और उनके अपने राज्य पर कर्ज का बोझ है। उन्होंने कहा कि वित्तीय स्थिति को जी.एस.टी. के साथ जोड़ दिया गया जिससे आर्थिक समस्याओं ने और सिर उठा लिया। पाकिस्तान की तरफ से आती हवाओं समेत पश्चिमी चक्रवात से दिल्ली में कोहरा (स्मोग) में पंजाब के योगदान को को लेकर उन्होंने कहा कि सारा दोष उनके राज्य पर मढ़ देना पूरी तरह गलत है। आंकड़े बताते हैं कि प्रदूषण के कारणों पर मापदंड दिल्ली में अधिक हैं। इस समस्या को सुलझाने की बजाय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल राजनीतिक खेल खेल रहे हैं। आप नेता बताएं कि इस मसले के हल के लिए वह ज़मीनी स्तर पर क्या कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि धान का क्षेत्रफल बढऩे के कारण हाल ही के वर्षों में यह स्थिति भयानक हुई है और बीते दो वर्षों में पंजाब में धान की रिकार्ड पैदावार हुई है, हालांकि राज्य के लोग परंपरागत तौर पर चावल नहीं खाते। उन्होंने बताया कि पंजाब में भी कुछ शहर स्माग की चपेट में हैं। किसानों को धान से वैकल्पिक फसलों की तरफ मोडऩे की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने फ़सलीय विविधता को उत्साहित करने के लिए बाकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की माँग को दोहराया। कैप्टन सिंह ने ज़ोर देकर कहा कि केंद्र सरकार को इस मसले को अपने हाथ में लेकर संकट में से निकलने के लिए आम सहमति बनानी होगी ।


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