पंडालों की सजावट के लिए लाखों ऐंठ रही इवेंट कंपनी

By: Nov 2nd, 2019 12:01 am

शिमला – इन्वेस्टर्स मीट की प्रदर्शनी में विभाग का नाम लिखने के लिए इवेंट मैनेजर कंपनी ने सवा लाख रुपए की मांग की है। कंपनी ने प्रदर्शनी के स्टॉल में विभाग का नाम कट लेटर में लिखने के लिए एक लाख पच्चीस हजार की कोटेशन भेजी है। इस कारण इन्वेस्टर्स मीट की इवेंट पार्टनर कंपनी सरकार के विभागीय सचिवों को चुभने लगी है। हैरत है कि आईस नामक कंपनी ने धर्मशाला में पंडाल स्थापित करने के लिए सरकार से छह करोड़ लिए हैं। इसके बाद 10 फुट चौड़े व 10 फुट लंबे स्टॉल की सजावट के लिए मोटी रकम एंठी जा रही है। कंपनी ने स्टॉल की डिजाइनिंग के लिए 45 हजार रुपए मांगे हैं। इसके भीतर टू सीटर सोफा किराए पर देने के लिए 51 हजार रुपए की कोटेशन भेजी है। अहम है कि स्टॉल के भीतर सारा सामान किराए पर देने की बात कही गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि किराए के सामान का भाड़ा उसकी कीमत के आस-पास है। कंपनी ने 50 इंच प्लाजमा टीवी स्थापित करने के लिए 25 हजार का रेंट मांगा है। इतना ही नहीं, दो बाई तीन फुट ग्लास टेबल के लिए 20 हजार का किराया वसूल किया जा रहा है। रिवॉल्विंग चेयर के लिए 12 हजार की मांग की गई है। स्टॉल के भीतर विभाग का लोगो चस्पां करने के लिए 60 हजार रुपए की कोटेशन भेजी है। स्टॉल का फेशिया बनाने के लिए एक लाख 25 हजार मांगे गए हैं। स्टॉल की दीवार आकर्षक बनाने के लिए 94 हजार रुपए की राशि मांगी गई है। अहम है कि इस सामान की ट्रांसपोर्टेशन के लिए 85 हजार की अलग से कोटेशन दी गई है। इवेंट कंपनी ने विभागों से छह से लेकर 35 लाख तक की राशि प्रति स्टॉल की साज-सजावट के लिए मांगी है।

पंडालों की सजावट बनेगी गले की फांस

इवेंट कंपनी के साथ राज्य सरकार ने पंडाल बनाने का एग्रीमेंट साइन किया है। सरकार ने लिखित तौर पर किसी भी विभाग को एग्जिबिशन की साज-सजावट के आदेश नहीं किए हैं। यह सारा काम मुंह-जुबानी चल रहा है। इस कारण इन्वेस्टर्स मीट की एग्जिबिशन बाद में कई विभागों के गले का फंदा बन सकती है।

कई विभागों ने खड़े किए हाथ

कई विभागों ने इवेंट कंपनी की सेवाएं लेने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इस कारण कुछ विभाग स्थानीय लोगों की सेवाएं ले रहे हैं। सूचना के अनुसार इवेंट कंपनी ने जिस विभाग से स्टॉल सजाने के 35 लाख मांगे थे, शिमला की कावासाकी कंपनी ने उसी स्तर की सर्विस तीन लाख में प्रदान कर दी है। इवेंट कंपनी की डिमांड से परेशान कुछ विभागों के निदेशक धर्मशाला के लिए रवाना हो गए हैं। विभागीय अधिकारी खुद मार्किट से सामान खरीद कर स्टॉल की साज-सजावट का मन बना चुके हैं। टीवी का किराया इवेंट कंपनी को देने की बजाय इसे खरीदने में समझदारी है।


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