प्रदेश में प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई को कारगर व्यवस्था

By: Nov 6th, 2019 12:16 am

प्रदेश में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण एवं पंजाब तथा हरियाणा सरकारों की शिकायत पर भारत सरकार ने कड़ा रुख  अपनाया है। भारत सरकार के आदेशों को देखते हुए प्रदूषण विभाग ने कई उद्योगों को नोटिस थमाए हैं कि वह निर्धारित मापदंड अपनाएं अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी…

गतांक से आगे …         

प्रदेश में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण एवं पंजाब तथा हरियाणा सरकारों की शिकायत पर भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। भारत सरकार के आदेशों को देखते हुए प्रदूषण विभाग ने कई उद्योगों को नोटिस थमाए हैं कि वह निर्धारित मापदंड अपनाएं अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिला सोलन की नालागढ़ तहसील के माजरा गांव में विनाशक कचरे को दबाने के लिए 191.08 बीघा जमीन चिन्हित तो की गई, लेकिन यह परियाजना 2014 तक भी ठंडे बस्ते में थी। हिमाचल के कुल्लू, कोटखाई, मंडी, बैजनाथ व शिमला में बादल फटने (फलैश-रेन) की घटनाओं ने पर्यावरण व पारिस्थितिकी की नाजुक होती स्थिति को जाहिर किया है, जिसकी नजाकत समझते हुए सरकार ने आपदा प्रबंधन पुख्ता बनाने का संकल्प लिया है। इन घटनाओं में  33 लोगों की अकाल मुत्यु ने राज्य के साथ लोकसभा तक का ध्यान खींचा। पर्यटन राज्य  में पर्यावरण के महत्त्व को सर्वोपरि मानते हुए सरकार ने पुनर्चालित पोलिथीन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाते हुए पर्यावरण संरक्षण की तरफ कारगर पग उठाए, वहीं इसके उत्पादन पर भी रोक लगा दी। यही नहीं, पर्यटक स्थल मनाली में चट्टानों पर कंपनियों के विज्ञापनों को लेकर बहस इस कद्र छिड़ी कि सर्वोच्च न्यायालय ने इसका संज्ञान लेते हुए एक टीम गठित कर इनके खिलाफ न केवल कार्रवाई की, बल्कि विज्ञापनों को भी हटवाया गया। इसी के साथ राज्य के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले 317 स्टोन क्रशरों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए इन्हें आगामी निर्देशों तक बंद रखा गया। वर्ष 2004 में पर्यावरण, पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए वास्तव में सरकार व न्यायालय तक की तरफ से जोरदार प्रयास किए गए। राज्य पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे स्थित होटलों, ढाबों द्वारा सीवरेज नियमों का उल्लंघन करने को लेकर कड़ा नोटिस लेते हुए तुरंत प्रभाव से उन्हें एहतियाती पग उठानेे के लिए नोटिस थमाए। सरकारी अस्पतालों में बायोमेडिकल कचरे को ठिकाने लगाने हेतु इंसिनरेटर लगाने हेतु कार्रवाई की गई। इसी के साथ बोर्ड ने नगर परिषदों को भी कूड़ा-कचरा प्रबंधन की धज्जियां उड़ाने को लेकर नोटिस के उपरांत अदालती कार्रवाई तक करवा दी। वर्ष 2004 में वन परियोजनाओं के नियमित आकलन करने का निर्णय राज्य सकरार ने लिया।                       -क्रमशः


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