प्रदेश से भाग रहा दहेज का राक्षस

By: Nov 5th, 2019 12:01 am

हिमाचल महिला आयोग की रिपोर्ट में खुलासा, छह साल में एक भी मामला दर्ज नहीं

शिमला  – हिमाचल से अब दहेज का राक्षस दूर होने लगा है। प्रदेश के सामाजिक सरोकार को लेकर ये काफी सुखद आंकड़ें सामने आए है, जिसमें कहा गया है कि हिमाचल में अब दहेज उत्पीड़न के मामले शून्य होते जा रहे हैं। प्रदेश महिला आयोग के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। 20 वर्ष की रिपोर्ट में बीते छह सालों में दहेज उत्पीड़न को लेकर एक भी मामला दर्ज नहीं हो पाया है। हालांकि आयोग में वर्ष 1999 से लेकर वर्ष 2010 तक दहेज उत्पीड़न के मामले दर्ज हैं, लेकिन हिमाचल के लिए यह खुशखबरी है कि अब प्रदेश के किसी भी क्षेत्र से दहेज उत्पीड़न की शिकायत नहीं आती है। गौर हो कि प्रदेश महिला आयोग प्रताडि़त हो रही महिलाआें की सुनवाई को लेकर एक ऐसा आयोग है, जहां पर हर वर्ग की महिलाएं कोर्ट जाने से पहले न्याय मांगने के लिए जाती है। गौर करें तो प्रदेश में यह स्थिति पहले बेहतर नहीं थी। 2005 से वर्ष 2008 तक कुल 22 महिलाआें ने दहेज उत्पीड़न के लिए आयोग में शिकायत दर्ज करवाई थी। हालांकि प्रदेश के न्यायालयों में भी दहेज उत्पीड़न का काफी ग्राफ गिर रहा है। हालांकि महिला आयोग की 20 वर्ष की रिपोर्ट से यह साबित हो रहा है कि छह वर्ष में दहेज उत्पीड़न का एक भी मामला प्रदेश में दर्ज नहीं हो पाया है। इस बारे में प्रदेश महिला आयोग भी मानता है कि प्रदेश की तस्वीर में काफी बदलाव आया है। भले ही पति, सास-ससुर व  अन्य पारिवारिक कारणों को लेकर उत्पीड़न के मामले अभी भी बढ़ रहे हैं, लेकिन दहेज उत्पीड़न के मामले न के बराबर हैं।

प्रताड़ना की शिकायत, पर दहेज को लेकर नहीं

वर्ष 2017-18 में 193 महिलाआं ने अपने पति व सास-ससुर के खिलाफ प्रताड़ना की शिकायत दर्ज करवाई है, लेकिन इसमें किसी भी महिला ने अपने ससुरालियों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न की शिकायत नहीं की है। फिलहाल यह भी बात सामने आई है कि राज्य में बेटियों के पढ़ने के ग्राफ के बढ़ने से प्रदेश में दहेज के मामलों के आंकड़ों में भी गिरावट देखी जा रही है। वहीं, इन आंकड़ों के कम होने का कारण महिलाआें को दिए गए न्याययिक अधिकारों के बारे में भी जागरूक होना भी है।


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