बीमारियों को बढ़ाती है अर्ली पु्रनिंग

By: Nov 12th, 2019 12:20 am

भुंतर –जिला कुल्लू में सर्दी का मौसम शुुरू होते ही बागबानों ने पिछले सीजन को समेट नए सीजन के लिए बागीचों में जुटने लगे हैं। जिला भर के बागबान प्रुनिंग एक्सपर्ट्स की तलाश को निकलने लगे हैं और आने वाले दो-तीन सप्ताह के बाद से बागीचों की कांट-छांट का काम आरंभ करेंगे। अपने बागीचों की काट-छांट को तैयार बैठे बागबानों को वैज्ञानिकों ने समय से पहले प्रुनिंग न करने की सलाह दी है। बागबानी सीजन के निपटने के बाद नए सीजन की तैयारियों में जुटे कुछ बागबान अपने कार्यों को जल्दबाजी में निपटाने को उत्सुक रहते है लेकिन कुछ कार्यों में जल्दबाजी करने से बागबानों को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। लिहाजा, बागबानों को समय अनुसार ही बागबानी के कार्य करने चाहिए। कुछ बागबान असमय ही देखा-देखी में पौधों की काट-छांट के काम में व्यस्त होने को तैयार हैं। जानकारों की मानें तो जल्दबाजी का यह कदम घातक भी हो सकता है। बागबानी विशेषज्ञों के मुताबिक अर्ली पु्रनिंग पौधों के लिए घातक साबित हो सकती है। इससे पौधों की उम्र पर भी प्रभाव पड़ सकता है। वहीं, पौधों में रस होने के कारण कई जख्म भी हो सकते हैं। इन जख्मों में कैंकर रोग के पनपने का अंदेशा भी बना रहता है। बजौरा में स्थित बागबानी अनुसंधान केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक डा. एचएस भाटिया के अनुसार दिसंबर माह के मध्य से प्रुनिंग का कार्य आंरभ किया जा सकता है लेकिन नवंबर में किसी भी सूरत में पु्रनिंग का काम नहीं करना चाहिए।


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