भारत ने गंवाया बड़ा मौका

By: Nov 19th, 2019 12:06 am

आर्थिक साझेदारी से बाहर रहना चीन ने बताया गलत कदम

नई दिल्ली – क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसेप) समझौते से हटने के भारत के फैसले को चीन के विश्लेषकों ने एक ऐतिहासिक चूक करार दिया है और कहा है कि भारत ऐसा करके वैश्विक स्तर पर औद्योगिक ताकत बनने के बड़े मौके को गंवा रहा है। बैंकॉक में तीसरे आरसेप शिखर सम्मेलन के संपन्न होने के करीब एक पखवाड़े बाद चीनी विश्लेषकों ने बीते सप्ताह भारत की यात्रा के दौरान यहां मीडिया से संवाद के दौरान यह राय व्यक्त की। चीनी दूतावास द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने विश्व के इस सबसे बड़े मुक्त व्यापार समझौते में भारत को शामिल होने का आह्वान करते हुए कहा कि आरसेप में शामिल होने के लिए भारत को ‘सशक्त नेतृत्व’ एवं अधिक सुधारों की आवश्यकता होगी। भारत ने आरसेप में शामिल होने से इसलिए इनकार कर दिया कि उसे लगता है कि चीन जैसे देशों ने आयात की बाढ़ से उसके घरेलू उद्योग एवं व्यापार तबाह हो सकते हैं, समझौते में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। भारत ने चार बिंदुओं के समाधान पर जोर दिया था, लेकिन अंततः उनका कोई हल नहीं निकला तो प्रधानमंत्री ने करार की वार्ता में शामिल अन्य 15 देशों के समक्ष दो टूक शब्दों में समझौते में शामिल होने से इनकार कर दिया। चीन के फुदान विश्वविद्यालय में चाइना इंस्टीच्यूट के निदेशक प्रोफेसर झांग वेईवेई ने कहा कि हमें लगता है कि भारत ने एक ऐतिहासिक चूक की है।

हिंदोस्तान शामिल होता है, तो तीन बड़े फायदे

चीनी विशेषलकों ने कहा कि आरसेप में शामिल होने पर भारत को तीन लाभ हैं। पहला यह कि आरसेप में शामिल होने से भारत के उद्यम एवं उद्यमी अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। दूसरा लाभ यह होगा कि औद्योगीकरण की प्रक्रिया पर इसका असर होगा। विश्व का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता होने के कारण इससे बहुत बड़ा बाज़ार, निवेश एवं अग्रणी तकनीक जैसे 5जी आदि उपलब्ध होंगे। तीसरा फायदा यह होगा कि पूर्व एशिया के साथ एशियाई सदी के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। भारत ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी इसी लिए बनाई, क्योंकि उसे पूर्वी एशिया विश्व का सबसे सक्षम इलाका लगता है, लेकिन पूर्वी एशिया या भारत अकेले तो एशियाई सदी नहीं बना सकते हैं।


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