मुस्कराने के राज

By: Nov 16th, 2019 12:14 am

श्रीश्री रवि शंकर

योग के लाभ अनन्य हैं। सबसे पहले तो यह हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। योग से हमें चिंता मुक्त और तनाव मुक्त रहने के लिए साधन और तकनीक मिलते हैं। योग मानव जीवन का सबसे बड़ा धन है। धन क्या है? धन का उद्देश्य प्रसन्नता और आराम देना है। योग इस दृष्टिकोण से धन ही है क्योंकि यह हमें पूर्ण आराम देता है। हिंसा मुक्त समाज, रोग मुक्त शरीर, संभ्रांति मुक्त मन, शंका रहित बुद्धि, सदमा रहित स्मरण शक्ति और एक दुःख रहित आत्मा, प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है।  पूरे विश्व की संसद सत्ता के एक ही ध्येय को पाने का प्रयत्न कर रही है वह है प्रसन्नता। हम समझते हैं कि योग केवल एक व्यायाम है। 80 और 90 के दशक में जब मैं यूरोप में जाता था, तो आम लोगों का समाज आसानी से योग को स्वीकार नहीं करता था। आज मैं प्रसन्न हूं कि एक जागृति आई है और लोगों ने योग के महत्त्व को पहचाना है।  पूरे विश्व में योग विश्राम, प्रसन्नता और क्रियात्मकता का पर्यायवाची बन गया है। यहां तक कि बड़ी कंपनियां अपने विज्ञापनों में आंतरिक शांति प्रदर्शित करने के लिए लोगों को योग की स्थिति या ध्यान मुद्रा में बैठे दिखाते हैं। हम इस बात को पसंद करें या न करें, हम सब जन्म से योगी ही हैं। हम एक बच्चे को देखें, तो हम समझ जाएंगे कि योग शिक्षक की आवश्यकता ही नहीं है। विश्व में कोई भी बच्चा 3 महीने से 3 वर्ष की उम्र तक योग के सारे आसन करता है। सांस लेना, जिस तरह वे सोते हैं, जिस तरह से वे मुस्कराते हैं, यह सब योग है। एक बच्चा एक योग शिक्षक होता है, एक योगी होता है। इसीलिए बच्चा तनाव मुक्त होता है, उसमें प्रसन्नता होती है वह दिन में 400 बार मुस्कराता है। योग का एक और महत्त्वपूर्ण लाभ है कि वह व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन लाता है, क्योंकि व्यवहार व्यक्ति के तनाव के स्तर पर निर्भर करता है। यह लोगों में मैत्रीपूर्ण चित्तवृत्ति और प्रसन्नचित वातावरण का निर्माण करता है। योग हमारी तरंगों को बेहतर बनाता है। हम अपनी उपस्थिति से बहुत कुछ प्रेषित करते हैं, अपने शब्दों से भी अधिक।

जोड़ने का काम करता है योग

योग के प्रस्तोता कृष्ण भगवान ने ‘भगवत गीता’ में कहा है, योग कुशलता का क्रियान्वयन है। योग केवल एक व्यायाम नहीं है अपितु यह आप किसी परिस्थिति में किस प्रकार संचार और क्रिया करते हैं की कुशलता है। किसी भी परिस्थति को संचारित और क्रियान्वित करने की क्षमता है। नयापन, पूर्वाभास, कुशलता और बेहतर संचार यह सब योग के प्रभाव हैं। योग सदैव अनेकता में एकता को बढ़ावा देता है। योग शब्द का अर्थ ही जोड़ना है, जीवन और अस्तित्व के विपरीत अंगों को जोड़ना। अब चाहे तो कोई व्यावसायिक हो, सामाजिक व्यक्तित्व हो या व्यक्तिगत व्यक्ति हो, हमें शांति चाहिए, हम मुस्कराना चाहते हैं, हम प्रसन्न रहना चाहते हैं। प्रसन्नता तभी संभव है जब हम अप्रसन्नता के मूल कारण को ढूंढें। अप्रसन्नता अदृश्यता चिंता और तनाव के कारण होती है।


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