यह रिश्ता क्या कहलाता है…

By: Nov 18th, 2019 12:02 am
  1. पिता ने बेटी को दी किडनी
  2. मां ने बेटे की बदली जिंदगी
  3. पत्नी ने पति को दिया गुर्दा

 आईजीएमसी में तीसरा सफल किडनी ट्रासंप्लाट, अपनों को जीवनदान देने में हिमाचली आगे

शिमला –आईजीएमसी में किडनी ट्रासंप्लाट ने यह रिश्ता क्या कहलाता है, के सीरियल की याद दिला दी। जी हां! अस्पताल में अभी तक तीन किडनी ट्रासप्लांट हुए हैं, जिसमें पहले पिता ने बेटी, वहीं मां ने बेटे, तो रविवार को तीसरे किडनी ट्रांसप्लांट में पत्नी ने पति को किडनी देकर जीवन दान दिया। इस तरह जहां आईजीएमसी में पहली बार किडनी ट्रासप्लांट की मुहिम सफल हो रही है, तो वहीं इससे रिश्तों में भी मिठास व मजबूती आ रही है। दरअसल आईजीएमसी में कई साल से ब्लडप्रेशर की वजह से गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे नगरोटा बगवां के 45 वर्षीय व्यक्ति का गुर्दाप्रत्यारोपण का सफल ऑपरेशन हुआ। इस दौरान 38 वर्षीय पत्नी ने अपना गुर्दा पति को दिया। एम्स से आई डाक्टर की चार सदस्यीय टीम ने इस सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया। हालांकि इस मौके पर आईजीएमसी में नेफ्रोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. संजय विक्रांत भी ऑपरेशन थियेटर में मौजूद रहे। आईजीएमसी में हुए तीसरे किडनी ट्रासप्लांट के ऑपरेशन के लिए चिकित्सकों की टीम ने साढ़े तीन घंटे लगाए। बता दें कि आईजीएमसी में यह तीसरा किडनी ट्रासप्लांट था, जिसमें अस्पताल प्रशासन को बड़ी सफलता मिली है। जानकारी के अनुसार रविवार को जिस व्यक्ति का किडनी ट्रासप्लांट हुआ, ब्लड प्रेशर की बिमारी होने के चलते उनके गुर्दे बिलकुल खत्म हो चुके थे। फिलहाल ऑपरेशन के बाद पति व पत्नी दोनों की हालत ठीक बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि पंद्रह दिन तक डाक्टरों की देखरेख में उन्हें रखा जाएगा। हिमाचल की पृष्ठभूमि में जीवनदान देने में रिश्तेदारों की अहम भूमिका देखी जा रही है। आईजीएमसी में अभी दस ऑपरेशन प्रदेश सरकार के बजट के तहत किए जाने हैं, जिसमें अगस्त में दो ऑपरेशन हो चुके हैं। अभी जो सर्जरी हुई है, उनकी हालत अब स्थिर है। हालांकि एक माह पहले इस ऑपरेशन के होने की सूचना थी, लेकिन एम्स के डाक्टरों ने तब तक डेट फिक्स नहीं की थी। अब जाकर एम्स के चिकित्सकों ने ऑपरेशन के लिए हामी भरी है और वह शिमला पहुंचे। गौर हो कि वर्ष 2018-19 के बजट भाषण में प्रदेश सरकार ने गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए चार करोड़ का बजट प्रस्तावित किया था, जिसके तहत इस योजना पर काम हो रहा है। आईजीएमसी में किडनी ट्रासप्लांट के लिए ओटी और पैरामेडिकल स्टाफ तैयार किए जा रहे हैं।

 

 

 


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