राजा लक्ष्मी वर्मन 800 ईस्वी में लड़ाई में मारा गया

By: Nov 6th, 2019 12:16 am

चंबा का राजा लक्ष्मी वर्मन 800 ई. में लड़ाई में मारा गया। उसकी रानी उस समय गर्भवती थी। उसने भाग कर अपने आपको शत्रु से बचाया। मार्ग में उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका  नाम मुशान वर्मन पड़ा। बाद में रानी तथा उसके पुत्र ने  सुकेत के राजा परवोग के यहां शरण पाई…

गतांक से आगे … 

सातवीं शताब्दी में बंगाल में सेन वंश का राज्य था। इसी वंश से बंगाल के बाद के सेन वंश चला। अतः कनिंघम के मतानुसार में आकर डाली थी। उसने कुल्लू के प्रसिद्ध निर्मंड ताम्रपत्र लेख का भी अध्ययन किया। ताम्रपत्र पर महासामंत समुद्रसेन नाम लिखा हुआ है। कनिंघम ने इसे मंडी का राजा समुद्र सेन माना है। लेख के पीछे के मंडी तथा सुकेत के राजाओं के राज्य का हिसाब लगाकर आठवीं शताब्दी में पीछे ले गया। परंतु डा. जेएफ फ्लोट ने इस ताम्रपत्र- लेख  का और अध्ययन किया। उसके विचार से यह ताम्रपत्र स्पीति के राजा समुद्र सेना का है, जो  पुरालेख के आधार पर सातवीं शताब्दी का है। दूसरे डा. टचीसन एवं डा. फोगल ने और तर्क आगे रखा। एक तो यह है कि 8वीं शताब्दी में किरा जाति ने उत्तर की  ओर से ब्रहापुर पर आक्रमण किया । चंबा का राजा लक्ष्मी वर्मन 800 ई. में लड़ाई में मारा गया। उसकी रानी उस समय गर्भवती थी। उसने भाग कर अपने आपको शत्रु से बचाया। मार्ग में उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम मुशान वर्मन पड़ा। बाद में रानी तथा उसके पुत्र ने सुकेत के राजा परवोग के यहां शरण पाई। यहां पर यह बात देखने योग्य है कि राजा के नाम के साथ ‘सेन’ शब्द नहीं लगा है, जहां सुकेत के राजाओं  के नाम के साथ परंपरा के आधार पर ‘सेन’ शब्द रानी को शरण दी और  उसके पुत्र से अपनी पुत्री का विवाह किया। एक और तर्क यह प्रस्तुत किया गया कि बिलासपुर-कहलूर की वंशावली के संबंध में शशिवंश-विनोद में एक उल्लेख है कि

पहले बाघल जीत कुनिहार ठाकुराई।

बेजा, धामी मारकर , क्योंथल पाई देई।।

यह वर्णन कहलूर के संस्थापक वीरचंद्र (लगभग 900) के बारे में लिखा है कि उसने बाहर ठकुराईयों बाघल, कुनिहार, बेजा, धामी, क्योंथल, कुठाड़, जुब्बल, बघाट, नेहरा,भज्जी, महलोग, मांगल और बलसन पर विजय पाकर उन्हें अपने अधीन किया। इससे वे लोग यह निष्कर्ष निकालते हैं कि जब वीरचंद्र ने दसवीं शताब्दी के आरंभ मेें ही क्योंथल पर अधिकार कर लिया था तो सुकेत अवश्य ही इससे पहले अस्तित्व में आ चुका था,  क्योंकि सुकेत और क्योंथल के संस्थापक दोनों भाई-भाई थे। परंतु इस सूची में दिए गए सभी राज्य 11वीं शताब्दी के पश्चात ही अस्तित्व में आए। शशिवंश विनोद की रचना करते समय जो भी नाम सामने हैं। सुकेत और क्योंथल के संस्थापक वीर सेन और गिरी सेन दो सगे भाई थे इसलिए सुकेत राज्य की स्थापना बहुत बाद में हुई होगी। तीसरा तर्क यह रखा जाता है कि सुकेत के संस्थापक वीरसेन (कनिंघम के अनुसार 765 ई.) ने कुल्लू के राजा भूपाल पर आक्रमण करके उसे परास्त किया था। इस आक्रमण की तिथि हटचिंसन ने 900 ईं के लगभग की मानी है। यहां यह वर्णन करना उचित रहेगा कि कुल्लू में दूसरे राज्य की स्थापना कहीं दूसर या तीसरी शताब्दी के मध्य  में विहंगमणी से लेकर भूपाल तक 47 राजा हुए।                   – क्रमशः    


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App