लैब टेक्नीशियन के रूप में बनाएं करियर

By: Nov 6th, 2019 12:25 am

सही इलाज और दवा के लिए आजकल क्लीनिकल प्रयोगशालाओं की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण है। मेडिकल सेक्टर के आधुनिक रूप में विस्तार पाने से मेडिकल लैब टेक्नीशियन की जरूरत काफी बढ़ गई है। किसी भी व्यक्ति के स्वस्थ होने में लैब टेक्नीशियन की भूमिका उतनी ही अहम होती है, जितनी डाक्टर की होती है। लैब टेक्नीशियन का अनुभवी होना इसलिए बहुत जरूरी है…

स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए पहले इनके बारे में बारीकी से जानना पड़ता है। डाक्टर रोगी के परीक्षण के दौरान सिर्फ  बीमारी का अनुमान लगाता है। असली बीमारी का पता तो परीक्षण के बाद ही लग पाता है और इस काम को अंजाम देता है लैब टेक्नीशियन। सही इलाज और दवा के लिए आजकल क्लीनिकल प्रयोगशालाओं की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण है। मेडिकल सेक्टर के आधुनिक रूप में विस्तार पाने से मेडिकल लैब टेक्नीशियन की जरूरत काफी बढ़ गई है। किसी भी व्यक्ति के स्वस्थ होने में लैब टेक्नीशियन की भूमिका उतनी ही अहम होती है, जितनी डाक्टर की होती है। लैब टेक्नीशियन का अनुभवी होना इस लिए बहुत जरूरी है। वैसे तो मेडिकल से संबंधित कोई भी क्षेत्र अहम होता है क्योंकि यह सीधे तौर पर लोगों की जिंदगी से   जुड़ा होता है। जरा सी लापरवाही से किसी को जिंदगी से हाथ भी धोना पड़ सकता है। इसलिए अपने पेशे को गंभीरता से लें। प्रयोगशालाओं में काम करने के लिए प्रशिक्षित तकनीशियनों की आवश्यकता होती है। अस्पतालों में भी इनकी जरूरत होती है। इन प्रशिक्षित तकनीशियनों को चिकित्सा के क्षेत्र में मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नीशियन (एमएलटी)कहा जाता है।

कार्य प्रकृति

मेडिकल लैब टेक्नीशियन डाक्टर के निर्देश पर काम करते हैं। उपकरणों के रखरखाव और कई तरह के काम इनके जिम्मे होते हैं। इन्हें मेडिकल साइंस के साथ-साथ लैब सुरक्षा नियमों और जरूरतों के बारे में पूरा ज्ञान होता है। लैब टेक्नीशियन नमूनों की जांच का काम करते हैं, पर नमूनों के परिणामों का विश्लेषण पैथोेलॉजिस्ट या लैब टेक्नोलॉजिस्ट करता है। जमा किए गए डाटा की सुरक्षा और गोपनीयता की जिम्मेदारी भी उनकी ही होती है।

पाठ्यक्रम का स्वरूप

मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी से संबंधित सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री एवं मास्टर कोर्स के दौरान बेसिक फिजियोलॉजी, बेसिक बायोकेमिस्ट्री एंड ब्लड बैंकिंग, एनाटॉमी एंड फिजियोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, पैथोलॉजी, एन्वायरनमेंट एंड बायोमेडिकल, वेस्ट मैनेजमेंट, मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी एवं अस्पताल प्रशिक्षण की जानकारी दी जाती है।

कोर्स एवं योग्यता

सर्टिफिकेट इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी (सीएमएलटी) 6 महीने का कोर्स है, जिसके लिए योग्यता 10वीं पास है। वहीं डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी के लिए 12वीं पास होना जरूरी है। इस कोर्स की अवधि एक साल है। 12वीं में प्रमुख विषय के रूप में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी अथवा मैथ्स होना अनिवार्य है। बीएससी इन एमएलटी के लिए 12वीं विज्ञान विषयों के साथ होना जरूरी है। इस कोर्स की अवधि तीन वर्ष है। एमएससी इन मेडिकल लैबोरेटरी टेकनोलॉजिस्ट(एमएलटी) प्रोग्राम में दाखिले के लिए अभ्यर्थी के पास डिप्लोमा होना चाहिए। इसके बाद दो साल के एसोसिएट प्रोग्राम में भी दाखिला लिया जा सकता है।

अवसर

मेडिकल लैबोरेटरी तकनीशियन किसी भी मेडिकल लैबोरेटरी, हास्पिटल, पैथोेलॉजिस्ट के साथ काम कर सकता है। ब्लड बैंक में इनकी खास मांग रहती है। उच्च शिक्षा और अनुभव के बाद बतौर रिसर्चर औा कंसल्टेंट भी काम किया जा सकता है। खुद का पैथोलॉजी क्लीनिक भी खोल सकते हैं।

वेतनमान

लैब टेक्नीशियन का वेतनमान इस बात पर निर्भर करता है कि वह सरकारी क्षेत्र में कार्यरत है या निजी क्षेत्र में। या उसने अपनी लैब खोल रखी है। आमदनी हर क्षेत्र में अलग-अलग है। सरकारी क्षेत्र में सरकारी मानकों के तहत वेतनमान मिलता है। कई प्राइवेट कंपनियां अच्छे पैकेज पर लैब टेक्नीशियनों को काम पर रखती हैं।

अनुभव जरूरी है

लैब टेक्नीशियन का अनुभवी होना अति आवश्यक है। फ्रेशर को अपने सीनियर से हमेशा सीखते रहना चाहिए। इस फील्ड में आप जितना काम करते जाओगे, आपका अनुभव उतना ही बढ़ता जाएगा। अनुभव आपकी आमदनी को बढ़ाने में भी मददगार साबित होता है।

क्या हों व्यक्तिगत गुण

इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए पहली मांग है अपने काम के प्रति पूरी तरह ईमानदार होना। जब आप पूरी ईमानदारी से काम को अंजाम देंगे तभी रोगी की शारीरिक समस्या दूर हो पाएगी। आप का एक गलत फैसला किसी की जान को जोखिम में डाल सकता है। इसलिए अपने काम को गंभीरता से लेने का गुण एक लैब टेक्नीशियन में जरूर होना चाहिए।

प्रमुख संस्थान

* दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीच्यूट, नई दिल्ली

* शिवालिक इंस्टीच्यूट ऑफ पैरामेडिकल टेक्नोलॉजी, चंडीगढ़

* पैरामेडिकल कालेज दुर्गापुर

* इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज, लखनऊ

* अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़

* बिरला इंस्टीच्यूट ऑफ  टेक्नोलॉजी रांची, झारखंड

* डा. भीमराव अंबेडकर मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल बंगलूर, कर्नाटक

* कालेज ऑफ  एलाइड हैल्थ साइंस, मनीपाल यूनिवर्सिटी, कर्नाटक

क्या करता है लैब टेक्नीशियन

लैब टेक्नीशियन इंस्ट्रक्शन के आधार पर रोजमर्रा की लैबोरोटरी टेस्टिंग को अंजाम देते हैं। टेक्नीशियन टेक्नोलॉजिस्ट या सुपरवाइजर के सहयोगी के रूप में काम करते हैं। सामान्य तौर पर टेक्नीशियन ऐसी मशीनों को आपरेट करता है जो स्वतः ही परीक्षण करने में सक्षम हैं। इन्हें आपरेट करने के लिए किसी विशेष योग्यता की जरूरत नहीं होती है। इसके साथ ही टेक्नीशियन उपकरणों की साफ.- सफाई और लैबोरेटरी में मेंटेनेंस का भी काम संभालता है। लैबोरेटरी में इस्तेमाल होने वाले स्टैंडर्ड सॉल्यूशन बनाने की जिम्मेदारी भी टेक्नीशियन की ही होती है।

उन्नति के अवसर

अच्छे-खासे अनुभव और शैक्षिक योग्यता के चलते टेक्नीशियन टेक्नोलॉजिस्ट के तौर पर भी काम करना शुरू कर सकता है। अस्पतालों और लैबोरेटरी की संख्या लगातार बढ़ने से मेडिकल टेक्नीशियन की मांग हर समय बनी ही रहती है। इस क्षेत्र में रोजगार के कई अवसर रिसर्च लैबोरेटरी में भी उपलब्ध हैं।

मिलिट्री में मौके

लैब टेक्नीशियन का क्षेत्र एक व्यापक क्षेत्र है। सिविल में तो इन की भारी डिमांड है ही, मिलिट्री में भी लैब टेक्नीशियन की काफी मांग है। सेना में जाकर भी आप इस फील्ड में अच्छा वेतन और प्रोमोशन पा सकते हैं।

मेडिकल लैब टेक्नोलाजी में बेहतर कैरियर

हरिंद्र मेहता, सीनियर लैब टेक्निशियन आईजीएमसी शिमला

लैब टेक्नीशियन में करियर संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने हरिंद्र मेहता से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

मेडिकल क्षेत्र में लैब टेक्नीशियन का क्या महत्त्व और कार्य है?

इस फील्ड में दो तरह के प्रोफेशनल काम करते हैं। एक मेडिकल लैबोरेट्री टेक्नीशियन और दूसरे मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट। दोनों का काम अलग-अलग होता है। मेडिकल टेक्नीशियन का काम मुख्य तौर पर विभिन्न चीजों के सैंपल को टेस्ट करना होता है। जांच के दौरान थोड़ी सी गलती किसी व्यक्ति के लिए जानलेवा भी हो सकती है, क्योंकि डाक्टर लैब रिपोर्ट के अनुसार ही इलाज और दवा लिखते हैं। वैसे, तो लैब टेक्नीशियन अपना काम स्वयं करते हैं, लेकिन लैब में सुपरवाइजर के रूप में उनके सीनियर भी होते हैं। आमतौर पर टेक्नीशियन के काम को तीन हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है। नमूना तैयार करना, जांच की मशीनों को आपरेट करना एवं उनका रखरखाव और जांच की रिपोर्ट तैयार करना। टेक्नीशियन नमूना तैयार करने के बाद मशीनों के सहारे इसे टेस्ट करते हैं और एनालिसिस के आधार पर रिपोर्ट तैयार करते हैं। स्पेशलाइज्ड उपकरणों और तकनीक का इस्तेमाल कर टेक्नीशियन सारे टेस्ट करते हैं। इस तरह ये इलाज में अहम रोल रखते हैं। मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजिस्ट रोगी के खून की जांच, टिश्यू, माइक्रोआर्र्गेनिज्म स्क्रीनिंग, केमिकल एनालिसिस और सैल काउंट से जुड़े परीक्षण को अंजाम देता है। ये बीमारी के होने या न होने संबंधी जरूरी साक्ष्य जुटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता क्या होनी चाहिए? इस क्षेत्र में कौन से कोर्स किए जा सकते हैं?

आप इससे संबंधित कोर्स, जैसे- सर्टिफिकेट इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी (सीएमएलटी), बीएससी मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी (बीएससी एमएलटी), डिप्लोमा इन मेडिकल लैबोरेटरी टेक्नोलॉजी (डीएमएलटी) जैसे कोर्स कर सकते हैं। इस तरह के कोर्स 12वीं के बाद किए जा सकते हैं। डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं में बायोलॉजी सब्जेक्ट होना जरूरी है। डिप्लोमा कोर्स की अवधि दो वर्ष की होती है। वैसे मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी कोर्स कराने वाले संस्थानों की कमी नहीं है। बस, ऐसे इंस्टीच्यूट में एडमिशन लें, जहां अच्छे लैब उपकरण हों।

रोजगार के अवसर किन क्षेत्रों में हैं?

इस फील्ड में सरकारी और प्राइवेट दोनों सेक्टरों में काफी संभावनाएं हैं। सरकारी क्षेत्र में जॉब के आपको वैकेंसीज का इंतजार करना पड़ सकता है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में ऐसी बात नहीं है। अगर आप चाहें, तो शुरुआती दौर में प्राइवेट लैब के साथ जुड़ कर काम कर सकते हैं। अगर बीएससी मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट हैं, तो अपनी लैब भी खोल सकते हैं। सरकारी क्षेत्र में आपको शुरुआत से ही अच्छी सैलरी मिलती है।

देश के और हिमाचल के प्रमुख शिक्षण संस्थानों बारे बताएं?

हिमाचल में आईजीएमसी और टांडा कालेज में लैब टेक्नीशियन का पाठ्यक्रम उपलब्ध है। इसके अलावा कई निजी संस्थानों से भी छात्र लैब टेक्नीशियन का कोर्स कर सकते हैं। देश के प्रमुख संस्थान ः दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीच्यूट, दिल्ली, राजीव गांधी पैरामेडिकल इंस्टीच्यूट, दिल्ली, इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज, लखनऊ, इंस्टीच्यूट ऑफ पैरामेडिकल टेक्नोलॉजी आदि हैं।

कहीं रोजगार मिलने पर आरंभिक आय कितनी होती है?

इस फील्ड में शुरुआती दौर में 20 हजार तक सैलरी प्राप्त की जा सकती है, जबकि सरकारी क्षेत्र में 30 से 50 हजार तक भी वेतन प्राप्त हो सकता है।

– दीपिका शर्मा, शिमला


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