सेना में सहायक

By: Nov 9th, 2019 12:05 am

कर्नल मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

भारतीय सेना में जवान और सूबेदार की तरह अधिकारी का कोई विशेष ट्रेड नहीं होता, पर उसे हर ट्रेड में माहिर होना पड़ता है। उसे परेड पर सही समय और सही ड्रेस, जैसे सुबह पीटी से लेकर  ब्रेकफास्ट, आफिस, दोपहर को लंच, खेल और डिनर में हर जगह अलग ड्रेस में जाना होता है। इस सब को  कुशलता और सक्षमता से करने के लिए अंग्रेजों या कामनवेल्थ आर्मी से ही सैन्य अधिकारी को एक बैटमैन यानी बैटल मैन दिया जाता है जो उसकी युद्ध एवं अन्य कार्यों के दौरान सहायता करता है। बैटमैन का काम अधिकारी की यूनिफार्म बनाना, व्हीकल चलाना, अंगरक्षक, मैसेज या संदेश वाहक, युद्ध में मोर्चा खोदना, आपरेटर व सहायक का काम करना होता है। जरूरत के बावजूद  सेना में सहायक की भर्ती नहीं की जाती और नए प्रशिक्षित सैनिक से ही तब तक यह काम कराया जाता है जब तक वह थोड़ा सीनियर होकर बड़ी जिम्मेदारी नहीं संभालता। आजादी के बाद इसे बैटल मैन से सहायक बना दिया गया और बदलते समय के साथ बैटमैन से सहायक बने सैनिक के काम में भी तबदीली हो गई, कंटोनमेंट एरिया में साब के बच्चे या कुत्ते को घुमाते हुए सहायक को अकसर देखा जा सकता है। जैसे अधिकारी का रैंक बढ़ता जाता है, सहायकों की गिनती भी बढ़ती जाती है। खैर सेना में तो अधिकारी के लिए सहायक आथराइज है, पर पैरामिलिट्री, आईएएस, आईपीएस व राज्य के पीसीएस जहां सहायक लागू नहीं है, वहां भी उच्च अधिकारियों के बंगलों के बाहर अन-आफिशियल सहायकों की भीड़ देखी जा सकती है। आलम यह है कि सेवानिवृत्ति के पश्चात भी ये सेवाएं जारी रहती हैं। बेहतर होगा कि सरकार हर अधिकारी को सहायक लागू कर इसकी अलग से भर्ती करे। सेना में प्रशिक्षित सैनिक को उसकी इच्छा के विरुद्ध देश सेवा से हटाकर साहिब सेवा में लगा सहायक बनाकर सरकार के लाखों रुपए बेकार करने के बजाय अधिकारी प्रशिक्षण के आखिर छह महीने में संख्या अनुसार सहायक भर्ती कर उन्हें कैडेट के साथ ही सहायक एवं व्हीकल ड्राइविंग की ट्रेनिंग दी जाए, अतः कैडेट के अधिकारी बनते ही उसे सहायक-कम-ड्राइवर तथा सब्सिडाइस रेट पर व्हीकल देकर अधिकारी के लिए गाड़ी और सहायक की परमानैंट व्यवस्था कर दी जाए। ट्रेनिंग से ही इकट्ठे रह रहे अधिकारी व सहायक की हर पोस्टिंग साथ हो तथा समय के साथ सशक्त हुए समंवय व रिश्ते के चलते हो सके तो वो जोड़ी सेवानिवृत्ति के बाद भी  साथ रहें। जिससे एक प्रशिक्षित सैनिक अपना काम कर सके और अधिकारी को सहायक मिल सके।

 


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