हमीरपुर में महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को टीबी

By: Nov 15th, 2019 12:01 am

हमीरपुर  – स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भारत को वर्ष 2025 तक टीबी फ्री करने का टारगेट रखा है। देशभर में इस दिशा में काम भी हो रहा है। पहाड़ी राज्य प्रयासरत है कि वह खुद को 2021 तक टीबी फ्री कर लें। प्रदेश में इसके लिए एसीएफ (एक्टिव केस फाइंडिंग) अभियान चलाया जा रहा है जोकि 16 से 30 नवंबर तक चलेगा। जिला हमीरपुर में भी इसके लिए स्वास्थ्य महकमे की ओर से विशेष तैयारियां की गई हैं। विभाग की ओर से जुटाए गए आंकड़ों में सामने आया है कि इस वर्ष जिले में अब तक 769 टीबी के केस सामने आए हैं। इनमें पुरुषों की संख्या अधिक है। महिला मरीजों का आंकड़ा जहां 279 है, वहीं पुरुषों की संख्या 490 बताई जाती है, जो कि चिंतनीय विषय है। विभाग की मानें तो 16 से 30 नवंबर तक चलाए जाने वाले एसीएफ अभियान के लिए जिला भर में टीबी के केस तलाशने के लिए 200 टीमें गठित की गई हैं, जो लगभग 90 हजार संभावित क्षेत्रों में रोगियों के बलगम के सैंपल लेंगी और उन्हें सीबीनाट (कारटेज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एंप्लिफिकेशन टेस्ट) के माध्यम से जांचा जाएगा। जिला स्वास्थ्य अधिकारी संजय जगोता, जिला कार्यक्रम अधिकारी डा. सुनील वर्मा ने सभी बीएमओ को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे सभी प्रबंधों की रिपोर्ट दें। एसीएफ अभियान के लिए पूरे जिला में आंगनबाड़ी और आशा वर्कर क अलावा काम में जुटे अन्य स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। विभाग की मानें तो पिछले वर्ष 800 मामले टीबी के सामने आए थे, जिनमें 700 पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। इसके अलावा अन्य का इलाज जारी है और करीब दस मरीजों की पिछले वर्ष मौत भी हो चुकी है।

13 साइट्स चिन्हित

स्वास्थ्य महकमे द्वारा गठित टीमों के सदस्य जिले में 90 हजार लोगों के बलगम के सैंपल लेंगे। ये लोग विभाग द्वारा चिन्हित 13 साइट्स में तैनात होंगे। इनमें स्लम एरिया, झुग्गी झोंपड़ी, ईंट भट्ठों में काम करने वाले, प्रवासी, मजदूर, शुगर के मरीज, कैंसर, एड्स से पीडि़त, कमजोर, कुपोषित, जो अकसर बीमार रहते हों, दो हफ्ते से ज्यादा खांसी वाले, बुखार, बलगम में खून, भूख न लगना, थकावट रहती हो या फिर जिसका पहले से टीबी का इलाज चल रहा हो, इत्यादि लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी।


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