हिमाचल में कल्चर गाइड योजना ‘फेल’
एक साल से नहीं आया आवेदन, भाषा संस्कृति विभाग ने बनाया था कार्यक्रम
शिमला – भाषा संस्कृति विभाग की एक ओर अन्य अहम योजना फेल हो गई है। भाषा विभाग के तहत आज पुरानी राहों के तहत कल्चर गाइड रखे जाने थे, लेकिन एक वर्ष हो गया और बार-बार कल्चर गाइड के लिए आवेदन मांगने के बावजूद अभी तक एक भी एप्लीकेशन भाषा विभाग तक नहीं पहुंची है। इसकी सूचना प्रदेश सरकार को भी सौंप दी गई है। गौर हो कि सेल्फ एंप्लायमेंट की थीम के आधार पर भाषा संस्कृति विभाग ने कल्चर गाइड को अपने स्तर पर ट्रेनिंग निःशुल्क करवानी तय की थी। इसके बाद भाषा विभाग द्वारा अपने स्तर पर उन्हें आईकार्ड भी उन्हें मुहैया करवाए जाने थे। इसमें आज पुरानी राहों से प्रदेश की तय धार्मिक और ऐतिहासिक साइट्स पर कल्चर गाइड द्वारा भ्रमण के लिए ले जाया जाना था, लेकिन यह योजना प्रदेश के लोगों को कतई नहीं भायी है। कारण यह बताया जा रहा है कि इसमें गाइड को विभाग द्वारा मात्र ट्रेनिंग करवाई जा रही थी, उन्हें मानदेय के नाम पर योजना बिलकुल खाली थी। लिहाजा प्रदेश में योजना सिरे ही नहीं चढ़ पाई है। देखा जाए, तो प्रदेश में पहली बार भाषा विभाग अपने स्तर पर कल्चर गाइड रखने जा रहा था, जिसमें योजना को सेल्फ एंप्लायमेंट से जोड़ने की योजना थी। फिलहाल अभी प्रदेश की तस्वीर देखें, तो अभी पर्यटन विभाग के की गाइड प्रदेश में काम कर रहे हैं। देखा जाए, तो प्रदेश में पहले भाषा संस्कृति विभाग की देवदर्शन योजना भी फेल होकर रह गई है, अब फिर से भाषा विभाग को कल्चर गाइड योजना के फेल होने का झटका लगा है। इस योजना की भाषा संस्कृति विभाग में काफी चर्चा थी, जिसमें विभाग की इस नए आइडिया से अब उम्मीद जताई जा रही थी कि इससे प्रदेश में सांस्कृतिक पर्यटन का ग्राफ बढ़ाया जा सके। जानकारी के मुताबिक देवभूमि दर्शन करवाने के लिए स्पेशल गाइड की कल्चर गाइड के तौर पर भर्ती की जाने वाली थी। पहले चरण में लगभग सौ गाइड की भर्ती करने का कार्यक्रम योजना के पहले चरण में शुरू किया जा रहा था। हिमाचल के लिए कल्चर गाइड को लगाने से उन स्थलों को भी सांस्कृतिक पर्यटन के साथ जोड़ा जाना था, कुछ क्षेत्र मात्र इस वजह से प्रचलित नहीं हो पाते हैं, क्योंकि उस जगह के बारे में पर्यटकों को ही पता नहीं होता है। गांव के मंदिरों को भी पर्यटन से जोड़ा जाना था। अब भाषा संस्कृति विभाग उन मंदिरों को भी खोज रहा है, जो काफी प्रचलित है, लेकिन वहां पर मात्र स्थानीय लोग ही आ पाते हैं। ये क्षेत्र गांव में अधिक होते हैं। यदि उन्हें पर्यटन की दृष्टि से जोड़ा जाए, तो सांस्कृतिक पर्यटन के लिए और दरवाजे खुल सकते हैं।
छिपे ऐतिहासिक स्थलों को भी मिलनी थी जान
कल्चर गाइड की भर्ती करने से प्रदेश की कई ऐतिहासिक स्थलों को भी देश-विदेश के सामने लाया जा पाना था, जो कहीं गुम होकर रह गए हैं। कल्चर गाइड को यह लिस्ट दी जाएगी, जिससे वे उन तमाम स्थलों पर टूरिस्ट को ले जाने थे, जो अभी हिमाचल की जनता के सामने भी साफ तौर पर सामने नहीं आ पाए हैं। प्रदेश के इतिहास को मजबूती देने वाले कई शख्सियतों के स्थलों को भी पर्यटकों के सामने लाने की कोशिश कल्चर गाइड के माध्यम से की जानी थी।
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