ओधोगिक राजधानी, शिक्षा की दीवानी

By: Nov 25th, 2019 12:05 am

हजारों लोगों को रोजगार दे रही हिमाचल की औद्योगिक राजधानी बीबीएन बच्चों का कल संवारने में भी बहुत आगे है। 55 हजार छात्रों का भविष्य संवारने में अहम योगदान दे रहे 449 स्कूलों ने ऐसी क्रांति लाई कि शिक्षा के साथ-साथ खुले रोजगार के दरवाजों से प्रदेश ने तरक्की की राह पकड़ ली। हिमाचली ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के होनहारों का कल संवार रहे बीबीएन में क्या है शिक्षा की कहानी, बता रहे हैं हमारे संवाददाता — विपिन शर्मा

हिमाचल की औद्योगिक राजधानी का तमगा हासिल कर चुके बीबीएन ने शिक्षा के क्षेत्र में भी अलग पहचान कायम कर ली है। पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा से सटे सोलन जिला के इस सीमांत क्षेत्र में 449 सरकारी व निजी स्कूल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर करीब 55 हजार होनहारों का कल संवारने में जुटे हैं। स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा का केंद्र बन चुके बीबीएन में हिमाचल सहित कई राज्यों के होनहार बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। हालांकि शिक्षा के क्षेत्र में बीबीएन अरसे से बेहतर नतीजे देता रहा है, लेकिन दो दशक में निजी व सरकारी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों की तादाद में जबरदस्त उछाल आया है। दरअसल, वर्ष 2002 में केंद्र से मिले विशेष औद्योगिक पैकेज के बाद बीबीएन में उद्योगों की बाढ़ सी आ गई थी। उस दौरान देश के हर राज्य से उद्यमियों, उद्योग कर्मियों सहित कामगारों ने इस क्षेत्र का रुख किया, लेकिन रोजगार सुलभ होने के बावजूद उन्हें जिन मुलभूत सुविधाओं की कमी सबसे ज्यादा खल रही थी, उनमें बेहतर शिक्षा व शिक्षण संस्थान प्रमुख तौर पर शामिल थे। बेहतर शिक्षण संस्थानों की मांग के बीच धड़ाधड़ निजी स्कूल खुले और सरकारी स्कूलों ने भी बदलते दौर के साथ खुद को बदला, जिसके फलस्वरूप बीबीएन शिक्षा का केंद्र बनने की ओर अग्रसर हुआ। आज बद्दी-बरोटीवाला व नालागढ़ में जहां छह सरकारी स्कूल व दस निजी स्कूल वर्चुअल व स्मार्ट क्लासरूम की सुविधा से संपन्न है, वहीं क्षेत्र के स्कूल शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक, सामान्य ज्ञान, खेलकूद गतिविधियों सहित प्रतियोगी परिक्षाओं के लिए भी बच्चों को तैयार कर रहे हैं। स्कूली शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा भी घरद्वार मिले, इसी मकसद के तहत बद्दी के कालूझिंडा में अटल शिक्षा कुंज की स्थापना की गई, जहां पांच निजी विश्वविद्यालयों में 15 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

ट्राईसिटी बीबीएन

कुल स्कूल           449

सरकारी स्कूल       334

निजी स्कूल           115

कुल छात्र   55696

निजी स्कूलों में छात्र  16864

सरकारी स्कूल में विद्यार्थी  38832

ब्वायज स्कूल का शतक पार

नालागढ़ शहर का ब्वायज सीनियर सेकेंडरी स्कूल सौ वर्ष से ज्यादा पुराना है। शहर के बीचोंबीच इसका भवन चलता था और सर्वप्रथम यह स्कूल मिडल स्कूल था। बताया जाता है कि 1902 में इस स्कूल से पहला दसवीं का बैच निकला था। आज यह स्कूल सीनियर सेकेंडरी स्कूल है और वर्तमान में इस पुराने स्कूल भवन में हेरिटेज सोसायटी द्वारा यहां गुरुकुलम का निर्माण किया गया है

नालागढ़-बद्दी में साक्षरता दर बेहतर

जनगणना-2011 के अनुसार नालागढ़ की साक्षरता दर राज्य के औसत 82.80 प्रतिशत के मुकाबले 90 प्रतिशत है, जबकि बद्दी की दर 86.33 प्रतिशत है। नालागढ़ में पुरुष साक्षरता दर 93.07 प्रतिशत है, जबकि महिला साक्षरता दर 86.51 है।

बीबीएन में ये संस्थान

स्कूली शिक्षा के साथ-साथ बीबीएन क्षेत्र उच्च शिक्षा का भी केंद्र बन चुका है, बद्दी-बरोटीवाला में इस समय पांच निजी विश्वविद्यालय स्थापित हैं, जिनमें बद्दी यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड साइंस टेक्नोलॉजी बद्दी, अटल शिक्षा कुंज कालूझिंडा में चितकारा यूनिवर्सिटी, महाराजा अग्रसेन यूनिवर्सिटी, इक्फाई यूनिवर्सिटी व आईईसी यूनिवर्सिटी शामिल है। इसके अलावा क्षेत्र में वोकेशनल, टेक्निकल, पैरामेडिकल नर्सिंग इंस्टीच्यूट भी युवाओं को कुशल बना रहे हैं। बद्दी में सिपेट सरीखा केंद्रीय संस्थान खुला है। इसके अलावा भोजिया डेंटल कालेज, हिमाचल फार्मेसी डेंटल कालेज नालागढ़, अवस्थी कालेज ऑफ नर्सिंग, लॉर्ड महावीरा नर्सिंग कालेज, भोजिया नर्सिंग कालेज, अवस्थी लॉ कालेज, बद्दी टेक्निकल ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट भी युवाओं को बेहतर शिक्षा मुहैया करवा रहे हैं।

ये हैं तो ब्राइट है फ्यूचर

नालागढ़ में स्थापित सरकारी व निजी स्कूल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बदौलत क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि प्रदेश भर में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं। कुछ वर्षों की उपलब्धियों पर गौर फरमाएं, तो क्षेत्र के सरकारी स्कूल शिक्षण व्यवस्था व संसाधनों में निजी स्कूलों से बेहतर साबित हुए हैं। साल दर साल सरकारी व निजी स्कूलों के विद्यार्थी बोर्ड की परीक्षाओं में मैरिट में जगह बना रहे हैं। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय (छात्र) नालागढ़, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय (छात्रा) नालागढ़, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय राजपुरा, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बद्दी, दून वैली पब्लिक स्कूल, राजलक्ष्मी समविद गुरुकुलम, गुरुकुल इंटरनेशनल नालागढ़, अल्पाइन पब्लिक स्कूल, शिवालिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल, शिवालिक साइंस स्कूल, वीआर सेंट्रल पब्लिक स्कूल, विवेक इंटरनेशनल स्कूल, अरबिंदो पब्लिक स्कूल, बाल विद्या निकेतन पब्लिक स्कूल, बीबीएन सीनियर सेकेंडरी स्कूल बद्दी, गीतांजलि पब्लिक स्कूल, इंडो अमेरिकन स्कूल, सार्थक इंटरनेशनल स्कूल, बीएल सेंट्रल स्कूल, सेंट ल्यूक्स बद्दी, अमरावती स्कूल बद्दी, किड्जी पब्लिक स्कूल, गुरुनानक पब्लिक स्कूल नालागढ़, बद्दी इंटरनेशनल स्कूल, भोजिया विद्यापीठ बद्दी सहित अन्य स्कूलों ने बीबीएन को शिक्षा का केंद्र बनाने में अहम रोल अदा किया है।

पुराने स्कूल हाईटेक

नालागढ़ के सबसे पुराने निजी स्कूलों में सुरेंद्रा पब्लिक स्कूल, बाल विद्या निकेतन, बीएम जैन पब्लिक स्कूल, हिम स्कूल बद्दी, दून वैली, अप्लपाइन, शिवालिक स्कूल शामिल हैं। दून वैली क्षेत्र में सबसे पहले सीबीएसई से एफिलेटिड होने वाले स्कूलों में शामिल है। बाल विद्या निकेतन पब्लिक स्कूल नालागढ़ 1978 में शुरू हुआ, जिसे पेशे से शिक्षक उषा शर्मा ने शुरू किया था। युगचेतना वात्सल्य पीठ नालागढ़ के अंतर्गत बारियां में साध्वी रितंभरा की प्रेरणा से राजलक्ष्मी समविद गुरुकुलम की स्थापना की गई है। इस विद्यालय में छात्रों को संस्कारपूर्ण आधुनिक आवासीय शिक्षा के साथ ही सैन्य पाठ्यक्रम प्रशिक्षण की भी व्यवस्था है।

सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर उच्च

निःसंदेह नालागढ़ व दून क्षेत्र में निजी विद्यालयों की बाढ़ आ गई है, परंतु सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर उच्च है, आज ये स्मार्ट क्लासेज से लैस हैं। अध्यापक प्रशिक्षित एवं अनुभवी हैं। विज्ञान संकाय में तो लोग आज भी सरकारी स्कूलों को तवज्जो दे रहे हैं। सरकारी संस्थान साधनहीन व असमर्थ अभिभावकों के लिए वरदान हैं। सरकारी स्कूल से पढ़े कबड्डी स्टार अजय ठाकुर किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं

अदित कंसल, प्रधानाचार्य, राजपुरा स्कूल

हालत देखकर दाखिला देते हैं प्राइवेट

इसमें कोई दो राय नहीं कि निजी व सरकारी स्कूल दोनों ही शिक्षा के प्रसार में जुटे हैं, लेकिन सरकारी स्कूल बेहतर हैं। आज शिक्षा का सार्वभौमीकरण हो चुका है, लेकिन निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा और बालिका के लिए शिक्षा जैसी नीतियां लागू करना सरकारी स्कूलों के माध्यम से ही संभव हो सका है। सरकारी स्कूलों में खेलों में भी विद्यार्थियों को बेहतर अवसर मिलते हैं

विजय लक्ष्मी, शिक्षक

मार्क्स नहीं, जीवन की दौड़ में आगे हैं बच्चे

सरकारी विद्यालय सही मायने में हमारे देश की आने वाली पीढ़ी के लिए सर्वांगीण विकास में सहायक हैं। यहां विद्यार्थी नंबरों की दौड़ में भले ही सबसे आगे न आते हों, पर जीवन की दौड़ में वे हमेशा आगे रहना सीखते हैं। सरकारी विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा, मुफ्त वर्दी व अन्य योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिस कारण अभिभावक मानसिक एवं आर्थिक रूप से राहत महसूस करते हैं और सरकारी विद्यालय को तरजीह देते हैं

अंजना कुमारी, प्रवक्ता

अब कम्प्यूटर एजुकेशन भी कमाल की

सूचना एवं संप्रेषण तकनीक आज शिक्षा जगत की एक क्रांतिकारी आधारशिला बन चुकी है।आज कम्प्यूटर की शिक्षा सरकारी विद्यालयों में निःशुल्क या नाममात्र फीस पर विद्यार्थियों को दी जा रही है। सरकारी विद्यालयों में सभी अध्यापक प्रशिक्षित होते हैं, जो विद्यार्थियों के मनोविज्ञान को बेहतर ढंग से समझते हैं, जो बेहतर शिक्षण के लिए आवश्यक है

रेणू बाला, प्रवक्ता

प्राइवेट स्कूल कर रहे बेहतरीन काम

समय के साथ शिक्षा और शिक्षकों की शैली में भी बदलाव आया है। आज शिक्षा के साथ बच्चों का सर्वांगीण विकास भी जरूरी है। बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ के निजी स्कूल इस दिशा में बेहतरीन कार्य कर रहे हैं। बीबीएन में अन्य प्रदेशों से भी सक्षम अध्यापक हमारे क्षेत्र में आए हैं, जिससे शिक्षा के स्तर में संतोषजनक विकास हुआ है। निजी स्कूल जिस तरह हमारे क्षेत्र में बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध करवा रहे हैं, सराहनीय है

पुनीत शर्मा, निदेशक, बाल विद्या निकेतन

सरकारी स्कूलों पर पूरा भरोसा

कहीं-कहीं अभी भी स्तर उठाने की जरूरत

सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बहुत अच्छा प्रयास कर रही है, लेकिन शिक्षा का स्तर और अधिक मजबूत बनाने की आवश्यकता है। निजी स्कूलों की अपेक्षा सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने की दिशा में और प्रयास होने चाहिए, क्योंकि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को दी जाने वाली सुविधाओं में काफी इजाफा हुआ है, जिसे और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है

अमरिंद्र भिंडर, अभिभावक, नालागढ़

छात्रों को मिलता रहे आगे बढ़ने का अवसर

सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर और बेहतर हो गया है, वहीं सुविधाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। सरकारी स्कूलों में तैनात अध्यापकों को भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाना चाहिए। निजी स्कूलों में भी और सुधार की आवश्यकता है और निजी स्कूल प्रबंधन सुविधाओं की ओर और अधिक ध्यान दें, जिससे विद्यार्थियों को आगे बढ़ने का अवसर मिल सके

अमन पुरी, अभिभावक

स्कूलों की भरमार, सुविधाओं की दरकार

नालागढ़ में निजी व सरकारी स्कूलों की खूब भरमार है, लेकिन यहां सुविधाओं की कमी है। सरकारी स्कूलों में तो सरकार की ओर से विद्यार्थियों के लिए सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं, जिनमें मिड-डे मील, निःशुल्क वर्दी व छात्रवृत्ति की सुविधा है, लेकिन निजी स्कूलों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। इन सुविधाओं में और अधिक इजाफा होना चाहिए

मोहित जैन, अभिभावक

गवर्नमेंट स्कूलों में हों प्राइवेट जैसे इंतजाम

सरकारी स्कूलों में सुविधाएं निजी स्कूलों की तर्ज पर होनी चाहिए, ताकि अभिभावकों को निजी स्कूलों की ओर न जाना पड़े। निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में भी अध्यापकों की कमी नहीं होनी चाहिए और सुविधाएं और अधिक होनी चाहिए। यही नहीं, सरकारी स्कूलों में भी बच्चों की सुरक्षा का पूर्ण ध्यान होना चाहिए, जबकि निजी स्कूलों में इन बातों का पूरा ध्यान रखा जाता है और बेवजह बच्चों को यहां वहां नहीं जाने दिया जाता

हरमिंदर डब्बू, अभिभावक

खेलों पर भी होना चाहिए फोकस

स्कूलों में बच्चों की रुचि और बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। कई बच्चे पढ़ाई में कमजोर होते हैं, लेकिन खेलों में उनकी रुचि अधिक होती है और कई बच्चों में पढ़ाई की ओर अधिक फोकस रहता है। स्कूल प्रबंधनों को बच्चों की रुचि ध्यान में रखते हुए उसे आगे बढ़ने के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए, ताकि उसका भविष्य जहां सुरक्षित बन सके, वहीं वह देश का सभ्य नागरिक बन सकें

प्रवीण विनायक, अभिभावक

भवनों की भी टेंशन नहीं

बद्दी, बरोटीवाला व नालागढ़ क्षेत्र के 38832 विद्यार्थी 334 सरकारी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण कर रहें हैं, जबकि 16864 विद्यार्थी 115 निजी स्कूलों में अध्ययनरत हैं। क्षेत्र में एक-दो स्कूलों के अलावा सभी सरकारी स्कूलों के पास अपने भवन हैं, जबकि बड़े निजी स्कूलों को छोड़ ज्यादातर निजी स्कूल किराए के भवनों में चल रहे हैं।

सरकारी स्कूलों के बच्चों को मुफ्त कोचिंग

औद्योगिक क्षेत्र में झुग्गी झोंपडि़यों में गुजर बसर कर रहे प्रवासी कामगारों के बच्चों को स्कूली शिक्षा देने के लिए जहां कई स्कूल झुग्गियों में चलाए जा रहे हैं, वहीं नालागढ़ में प्रशासन द्वारा हेरिटेज पार्क के बगल में गुरुकुलम के नाम से स्कूल चलाया जाता है। इसके अलावा सरकारी स्कूलों के बच्चों को जेईई सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने के मकसद से नालागढ़ हेरिटेज पार्क में नालागढ़ एजुकेशन सोसायटी द्वारा एक कोचिंग स्कूल व लाइब्रेरी स्थापित की गई है, जिसमें नामी कोचिंग अकादमी से विशेषज्ञ शिक्षक बच्चों को कोचिंग देते हैं। इस कोचिंग स्कूल की शुरुआत दो वर्ष पूर्व आईएएस अधिकारी तत्कालीन एसडीएम नालागढ़ आशुतोष गर्ग ने रखी थी।


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