ऑनलाइन मंजूरियों ने आसान की राह

By: Dec 25th, 2019 12:30 am

सभी विभाग जवाबदेह, हर जगह से अप्रूव फाइल ही पहुंच रही सिंगल विंडो में

शिमला  – प्रदेश सरकार अपने दो साल का जश्न मनाने जा रही है और इन दो सालों में अन्य योजनाओं के अलावा निवेशकों को रिझाने में सबसे प्रमुख काम किया गया है। 97 हजार करोड़ रुपए के एमओयू उद्योग जगत के साथ किए गए, जिसमें से 10 हजार करोड़ के निवेश को धरातल पर उतारा जा रहा है। यह सब आसान नहीं था, मगर सरकार की इच्छा शक्ति से सब कुछ हो गया। ऐसे में यहां पर बड़ा निवेश होने की पूरी संभावना है। इस निवेश को लाने के लिए सरकार ने अपनी उद्योग पॉलिसी बदली, जिसमें ऐसी रियायतें यहां उद्योगपतियों को दी गई हैं, जिससे रास्ता आसान बन गया। सिंगल विंडो सिस्टम को प्रभावशाली बनाया गया है। अब सिंगल विंडो में वही फाइल आती है, जिसे दूसरी जरूरी मंजूरियां हासिल हो जाती हैं। इससे पहले ऐसा नहीं था। पहले प्रस्ताव उद्योग विभाग के माध्यम से सिंगल विंडो कमेटी को आता था और वहां से क्लियर होने के बाद दूसरे विभागों को जाता था। क्योंकि सिंगल विंडों में उन विभागों के अफसर भी रहते थे, जो सैद्धांतिक मंजूरी देते थे।

हर प्रक्रिया पारदर्शी

सिंगल विंडो सिस्टम को बदलकर सरकार ने और प्रभावशाली बनाया है। इतना ही नहीं, अब उद्योगपति को कहीं भटकने की जरूरत नहीं रहती, क्योंकि वह ऑनलाइन अप्लाई करता है और उसे समय-समय पर स्टेटस पता चलता रहता है। ऐसे में पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो चुकी है, जिससे उद्योगपतियों को आसानी हुई है।

इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन अथारिटी

भविष्य में निवेश का पूरा काम इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन अथारिटी को सौंपा जाएगा। इसमें सभी विशेषज्ञ होंगे।  फिर इसी अथारिटी की जिम्मेदारी होगी कि वह निवेश के प्रस्ताव को खुद मंजूरी दिलाए। वह सभी विभागों से संपर्क करेगी और केवल निवेश लाने का ही उसका काम होगा। ऐसी अथारिटी बनने से यहां पर निवेश का रास्ता और अधिक आसान बन जाएगा।

सबसिडी से उद्योगों को राहत

सरकार ने उद्योगपतियों को रियायतें दी हैं। उन्हें कैपिटल इन्वेस्टमेंट सबसिडी अब खुद राज्य सरकार दे रही है। इसके साथ ट्रांसपोर्ट सबसिडी भी प्रदेश सरकार ने देने का वादा किया है। इसके अलावा  प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है, जिसके हिसाब से सबसिडी प्रदान करने  का निर्णय लिया गया है। इतना ही नहीं  उद्योग किस नेचर का है, उसके मुताबिक उसे सबसिडी दी जा रही है।

सीएम खुद कर रहे चैकिंग

बड़ी बात यह है कि मुख्यमंत्री खुद उद्योगों की धारा 118 की फाइल को ऑनलाइन चैक कर रहे हैं और समय पर उनको क्लीयरेंस दी जा रही है। सीएम कार्यालय से ऐसे मामले धड़ाधड़ निपटाए जा रहे हैं। यही कारण है कि इन्वेस्टर मीट के बाद यहां डेढ़ महीने में ही 10 हजार करोड़ रुपए के निवेश की ग्राउंडिंग की जा रही है।

अब 49768 करोड़ का निवेश

अभी तक प्रदेश में कुल 53889 उद्योग अलग-अलग श्रेणियों के प्रदेश में स्थापित हो चुके हैं। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में दो साल में 300 से ज्यादा नए उद्योगों को सिंगल विंडो की क्लीयरेंस दी गई है, जिनमें से कई स्थापित हो चुके हैं। अब तक कुल निवेश यहां पर 49768.01 करोड़ का दर्ज किया गया है। इसमें एमओयू का 97 हजार करोड़ का निवेश शामिल नहीं है।

 


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