कश्मीर की तरह पौंग झील में तैरेंगे शिकारे

By: Dec 20th, 2019 12:02 am

शिमला – कश्मीर की डल लेक के बाद कांगड़ा की पौंग झील में भी शिकारा तैरता नजर आएगा। इसके अलावा पौंग तथा लारजी डैम में जैटीस स्थापित किए जाएंगे। पर्यटन तथा वन्य प्राणी विभाग की सैद्धांतिक मंजूरी के बाद राज्य सरकार ने इसके लिए हरी झंडी प्रदान कर दी है। इस अहम फैसले के तहत पौंग झील में जल्द ही शिकारा उतार दिया जाएगा। हाउस बोट की तरह दिखने वाली यह कश्ती जल क्रीड़ा का बड़ा रोमांच है। खासकर कश्मीर की डल झील में दिखने वाली शिकारा दुनियाभर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यही कारण है कि हिमाचल सरकार इसे पौंग झील में लांच कर रही है। इसके अलावा प्रदेश के दूसरे जलाश्यों कोल डैम, गोबिंदसागर, तत्तापानी तथा लारजी में जैटीस के अलावा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बोटिंग शुरू की जा रही है।  यह अहम निर्णय गुरुवार को मुख्य सचिव डा. श्रीकांत बाल्दी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में लिए गए। उन्होंने राज्य सरकार की प्राथमिकता वाली पर्यटन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए संबंधित विभागों में आपसी समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया है। मुख्य सचिव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में ईको व साहसिक टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए दक्ष प्रयास किए जाने चाहिए। इससे न केवल रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी होगी, बल्कि राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी मदद मिलेगी। निदेशक पर्यटन विभाग, यूनस ने कार्यवाही का संचालन किया तथा पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन विकास के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बैठक में पर्यटन व संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकरी उपस्थित रहे।

बूल्हा कटारू में ईको टूरिज्म

मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में पर्यटन आधारित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए नई राहें, नई मंजिलें योजना के तहत पैराग्लाइडिंग के लिए नए स्थलों को भी चिन्हित किया जाना चाहिए। उन्होंने मंडी जिला में बूल्हा कटारू को ईको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने अधिकारियों को हर जिला में हेलिपोर्ट स्थापित करने के लिए भूमि चिन्हित करने के निर्देश दिए।

जल आधारित पर्यटन निखरेगा

बैठक में पौंग बांध तथा कुछ अन्य वाटर बॉडीज में शिकारा सुविधा आरंभ करने को भी अनुमति प्रदान की गई। इससे जल आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी तथा पर्यटन स्थलों का विस्तार भी होगा। डा. बाल्दी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपने नैसर्गिक सौंदर्य और शांत वातावरण के कारण विश्व पर्यटन के मानचित्र पर पसंदीदा स्थल के रूप में उभर रहा है।

 

 


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