कहानी : आई एमसॉरी पापा

By: Dec 18th, 2019 12:25 am

सर्दी के दिन थे। चारों ओर अंधेरा छा गया था। उस समय पड़ोसी मि. वर्मा ने अपने बेटे कुनाल को मि. पटेल के घर पर स्कूल से मिली एक असाइनमैंट को पूरा करने के लिए भेजा। मि. पटेल स्कूल में प्रवक्ता थे। दस वर्ष का बेटा अंतरिक्ष और आठ वर्ष की आस्था रजाई के भीतर बैठे अपने स्क्ूल का काम निपटा रहे थे। कुर्सी पर बैठे मि. पटेल कुनाल को असाइनमैंट बनाना समझा रहे थे। बाहरवीं में पढ़ने वाला कुनाल फर्श पर हीटर के पास बैठकर अपने चार्ट को पूरा कर रहा था। कुनाल स्कूल के उन नालायक और पालरवाह बच्चों में था जो साल भर किताब को हाथ तक नहीं लगाते थे। कुनाल के लिए प्रधानाचार्य की यह अंतिम चेतावनी थी तभी आज मि. पटेल की मदद ली जा रही थी। मि. पटेल ने कुनाल को बैठने के लिए एक मोटा-सा मैट और दिया ताकि वह ठंड से बचा रह सके। होमवर्क में रमे अंतरिक्ष का ध्यान कमरे में होनेवाली हरेक गतिविधि पर बराबर था। बार-बार समझाने पर भी कुनाल ढंग से असाइनमैंट नहीं बना पा रहा था। यह सब देखकर मि. पटेल उठे और सीधे ही बिना कुछ अपने नीचे बिछाए नंगे ठंडे फर्श पर जाकर बैठ गए और चार्ट में हुई गलतियों को सुधारने में लग गए। चार्ट पर पूरा फोकस होने की वजह से शायद उन्हें इस बार का जरा भी ख्याल नहीं रहाकि वे फर्श पर अपने नीचे कुछ लिए बिना ही बैठ चुके हैं। आधा घंटा चार्ट को बनाते-सुधारते बीत गया लेकिन कुनाल ने मि. पटेल की तरफ न ही हीटर फेरा और न ही उन्हें अपने नीचे से कोई एक मैट या अन्या चीज बैठने को ही दी। वह हीटर सेंकते हुए बस अपने चार्ट को अपनी किसी मेहनत के बिना बनता हुआ देख खुश हुए जा रहा था। अंतरिक्ष सब देख रहा था और इस बात के लिए उसे कुनाल पर बहुत गुस्सा आ रहा था। वह बीच में एक बार पापा को नीचे बिछाने में लिए कोई चीज देने के लिए उठा भी, लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। वह चुपचाप वापस बैठ पर आकर बैठ गया, लेकिन उसका मन  अब तक होमवर्क से पूरी तरह से हट चुका था। कुछ सोचता हुआ अंतरिक्ष एक बार फिर बिस्तर से उठा और दूसरे कमरे की ओर जाकर धुली हुई एक चद्दर लेकर आ गया। वह चद्दर को अपने पापा के नीचे जैसे ही बिछाने को हुआ। पापा ने उसे मना किया और  धुली हुई चद्दर को वापस उसी स्थान पर रखने के लिए कहा। वह अभी भी पापा को ठंडे फर्श पर बैठे काम करते हुए दुखी मन से देख जा रहा था। उससे न रहा गया और बहाना बनाकर। अबकी बार पापा से उसे सुनाने की जिद करने लगा। पापा ने घड़ी पर एक नजर डाली और कहा, मुझे तुम्हारे चाचू का काम करने दो बेटा। नहीं पापा, आप पहले मुझे सुला लो। चाचू का काम कल कर लेना। अंतरिक्ष जिद करता हुआ बोला। ऐसे तुम ग्यारह बजे तक नहीं सोते और आज साढ़े आठ बजे ही तुम्हें नींद आने लग पड़ी। पापा ने कहा। चार्ट में एक और फोटो की जरूरत थी जिसे इस वक्त नैट से ही लिया जा सकता था। मि. पटेल कुनाल को अभी कुछ समझाने ही वाले थे कि अंतरिक्ष फिर जोर से चिल्लाया, मुझे पहले सुलाओ पापा। अभी मैं कुछ काम कर लूं बेटा। तुम सो जाओ। मि. पटेल प्यार से बोले। नहीं मैं आपके बगैर नहीं सोऊंगा। अंतरिक्ष इस बार गुस्से में बोला। आज के दिन तुम अपने आप सोने की कोशिश तो करो बेटा। नहीं मैं आपके बगैर नहीं सोऊंगा। इस बार अंतरिक्ष लगभग चिल्लाते हुए फिर बोला। बेटा आज के दिन खुद सो जाओ। अभी मैं कुनाल का काम कर रहा हूं। देखों कैसे आराम से आस्था सो गई है। तुम भी सोने की कोशिश तो करो। मि. पटेल एक बार फिर समझाते हुए बोले।  मैं आपके बगैर नहीं सोऊंगा। आप मुझे सुलाओ बस अंतरिक्ष ने चिल्लाते हुए कहा। इतना कहने की देरी थी मि. पटेल ने अंतरिक्ष को एक जोरदार थप्पड़ दे मारा और डांटते हुए बोले,  समझ नहीं आती तुम्हें! देखते नहीं मैं चाचू का काम कर रहा हूं जो इसकी परीक्षा के लिए बहुत जरूरी है। क्या तुम एक दिन मेरे बगैर नहीं सो सकते? बेकार में परेशान करके रखा है कब से।  अंतरिक्ष गाल पकड़कर कुनाल की ओर अजीब-सी नजरों से देखता हुआ सिसक-सिसक कर रोने लगा। मि. पटेल कुनाल को चार्ट का कुछ काम समझाने के बाद लैपटॉप वाले दूसरे कमरे में फोटो निकालने के लिए चले गए। पापा के दूसरे कमरे में जाते ही अंतरिक्ष भी कुछ क्षणों के उपरांत पापा के पास पहुंच गया और रोते-रोते मासूमियत से बोला, पापा, मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं आपको सोने के लिए पता क्यों जिद कर रहा था? क्योंकि पापा कुनाल खुद दो मैट लेकर बैठा रहा और आप नंगे फर्श पर ही बैठकर उसका काम कर रहे थे। उसने आपको बैठने के लिए न तो मैट दिया और न हीटर को आपकी तरफ फेरा ही। पापा आपको ठंड लग रही होगी यह सोचकर मैं आपको सोने की जिद करने लगा था ताकि आप थोड़ी देर तो बिस्तर की गर्मी में बैठ जाएं। कुनाल चाचू के सामने मैं कुछ नहीं बोल पा रहा था इसलिए मैंने फिजूल की जिद की। आई एम सॉरी पापा। यह सब सुनकर मि. पटेलकी आंखें भर आईं। उन्होंने प्यार से बेटे को अपने गले से लगा लिया और उसके चेहरे को खूब चूमा। मि. पटेल भरभराई आवाज में बोले, बेटा सॉरी तो मुझे कहनी चाहिए तुम्हें। तुम्हें पापा की इतनी फिक्र है। और मुझे देखो, मैंने तुम पर हाथ उठाया। तुम पापा के लिए इतना सोचते हो, मेरे लिए यही बहुत बड़ी बात है। आई लव यू बेटा। आई लव यू। पापा के गले अंतरिक्ष अब बिना किसी फिक्र के सुकून की सांस ले रहा था।

-पवन चौहान, सुंदरनगर


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