टैक्स से हिमाचल ने जुटाए 3198 करोड़

By: Dec 7th, 2019 10:26 pm

गुजरे वित्त वर्ष के मुकाबले 17.2 फीसदी बढ़ी कलेक्शन, शिमला-बद्दी से ज्यादा फायदा

 शिमला -वैश्विक मंदी के बावजूद हिमाचल प्रदेश में राजस्व कर संग्रह बढ़ा है। 30 नवंबर, 2019 तक हिमाचल प्रदेश सरकार का कुल कर राजस्व संग्रह 17.2 प्रतिशत तक बढ़ा है। यह जानकारी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नवंबर, 2018 तक 2727 करोड़ रुपए के मुकाबले नवंबर, 2019 को 3198 करोड़ रुपए का कर संग्रहण किया गया है, जिसमें 471 करोड़ रुपए की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि शिमला और बद्दी राजस्व जि़लों ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 85 करोड़ रुपए और 111 करोड़ रुपए की वृद्धि दर्ज की है। 30 नवंबर तक उत्पाद शुल्क में पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसी अवधि में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष 30 नवंबर तक 956 करोड़ रुपए के मुकाबले इस वर्ष 1060 करोड़ रुपए का संग्रह रहा जो 104 करोड़ रुपए अधिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 30 नवंबर, 2019 तक जीएसटी राजस्व में पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसी अवधि में 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। पिछले वर्ष 30 नवंबर, 2018 के 1859.07 करोड़ रुपए के संग्रह के मुकाबले इस वर्ष 2315.63 करोड़ रुपए का राजस्व एकत्रित हुआ। जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में राजस्व और कर में वृद्धि के लिए कई प्रयास कर रही है। सरकार राज्य में कर राजस्व संग्रहण की नियमित रूप से समीक्षा कर रही है और इसे गति प्रदान करने के लिए कारगर कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटीआर-3बी के अंतर्गत ऑनलाइन जीएसटी उपभोक्ताओं के पंजीकरण को 95 प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नवंबर माह के परिणाम भी उत्साहजनक रहे हैं, जिसमें कुल राजस्व संग्रह में 40 प्रतिशत, जीएसटी में 33 प्रतिशत और उत्पाद शुल्क में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी के ‘डेस्टिनेशन प्रिंसीपल’ को गैर-प्रवर्तन रूप में लागू करने से प्रदेश के राजस्व का नुकसान हो रहा है और इस मामले को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष उठाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने केंद्र शासित चंडीगढ़ के प्रशासक के साथ उनके करों और शराब पर लगने वाले कर को तर्कसंगत बनाने का मामला उठाया है, ताकि हिमाचल प्रदेश के लिए यह हानिकारक सिद्ध न हो। सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार पर्यटन, निर्माण और जल-विद्युत परियोजनाओं आदि में जीएसटी के प्रभावी प्रवर्तन को सुनिश्चित कर रही है। इसके अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, टोल और अन्य ठेकेदारों से बकाया वसूलने तथा उसे सरकारी खजाने में जोड़ने के प्रयास कर रही है।


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