तपोवन में जनहित के गूंजे 626 सवाल

By: Dec 15th, 2019 12:13 am

 छह बैठकों के साथ शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित 

 पहले दो दिन शोरगुल के बाद शांतिपूर्वक चलीं शेष चार बैठकें

 सदन चलाने के लिए विपक्ष को साधने में कामयाब रहे मुख्यमंत्री

 विधायकों के लिए आयोजित रात्रि भोज ने भी खूब बटोरी चर्चा

धर्मशाला –प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शनिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। धर्मशाला में आयोजित शीतकालीन सत्र में छह बैठकें हुईं। सदन की कार्यवाही 28 घंटे 50 मिनट तक चली। इस दौरान 626 प्रश्न सदन में रखे गए। इसके अलावा विभिन्न समितियों के 73 प्रतिवेदन और चार महत्त्वपूर्ण विधेयकों के साथ 18 मामलों पर चर्चाएं हुईं। पहले दो दिन के शोरगुल के बाद शेष चार बैठकें शांतिपूर्वक चलीं।  हालांकि बीच-बीच में पक्ष व विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर तीखी तकरार भी हुई, मगर फिर भी एक सार्थक सत्र यहां पर चला। विपक्ष के तीखे तेवरों को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जिस तरह से नरम किया और पलटवार में खूब खरी-खरी सुनाई, वह भी काबिले तारीफ थी। सरकार की ओर से यहां कई अहम मुद्दों पर कई बड़े ऐलान भी हुए। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपने मंत्रियों की ढाल बनकर यहां पर खड़े दिखाई दिए। कई खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ विधानसभा का यह शीतकालीन सत्र समाप्त हुआ। सदन की कार्यवाही से अलग सरकार की ओर से विधायकों के सम्मान में रात्रि भोज दिया गया, जिसमें विधायकों का खूब मनोरंजन भी हुआ। सदन के भीतर पक्ष और विपक्ष के बीच कई मुद्दों पर तीखी नोकझोंक देखी गई। यहां पर इन्वेस्टर मीट, जनमंच, हाइड्रो पावर पालिसी जैसे मुद्दों पर गंभीर चिंतन हुआ। विपक्ष ने जहां इन मामलों में सरकार को कठघरे में खड़ा किया तो सत्तापक्ष ने पलटवार में माकूल जवाब भी दिया। सत्तापक्ष ने साफ किया कि सरकार ने प्रदेश के हितों में पालिसी बनाई है और पुरानी नीतियों में यहां बदलाव भी प्रदेश हित में किया गया है। सत्तापक्ष की ओर से भविष्य के हिमाचल की एक तस्वीर यहां पर दिखाई गई। विधानसभा सत्रों में कम बैठकों को लेकर भी सरकार ने स्पष्ट संकेत दिए कि पूरी बैठकें हरेक सत्र में हों, इसे सुनिश्चित बनाया जाएगा,  क्योंकि पिछले साल और इस बार भी निर्धारित बैठकें नहीं हो सकी हैं। खुद विधानसभा के अध्यक्ष डा.राजीव बिंदल ने ये संकेत दिए कि निर्धारित बैठकों को सुनिश्चित बनाया जाएगा। धर्मशाला में ठंडे मौसम के बीच विधानसभा की तपिश शनिवार को खत्म हो गई। अब सरकार पहली राजधानी की ओर रुखसत होगी। प्रशासनिक कुनबा भी यहां से विदाई लेगा और रविवार को अधिकारी व कर्मचारी शिमला पहुंच जाएंगे। इसके बाद सोमवार से राजधानी शिमला से ही सरकार चलेगी। अब बजट सत्र में मिलने का वादा कर पक्ष और विपक्ष रुखसत हुआ। सदन में मुख्यमंत्री ने इस सत्र को महत्त्वपूर्ण बताया, वहीं विपक्ष ने भी यहां हुई चर्चाओं को सार्थक करार दिया।


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