थल सेना अध्यक्ष नरवाने

By: Dec 21st, 2019 12:05 am

कर्नल (रि.) मनीष धीमान

स्वतंत्र लेखक

भारतीय थल सेना के सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत 31 दिसंबर 2019 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। जनरल रावत के बारे में यह चर्चा थी कि वह भारत के पहले चीफ  ऑफ  डिफेंस स्टाफ  बनेंगे जो कि तीनों सेनाओं के मुखिया होंगे। सरकार ने अभी तक इस बारे में तो कोई घोषणा नहीं की, पर उनकी सेवानिवृत्ति पश्चात एक जनवरी 2020 से भारतीय थल सेना के नए सेनाध्यक्ष का चयन लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने के रूप में कर दिया है। जनरल नरवाने वर्तमान में भारतीय सेना के वाइस चीफ  ऑफ  आर्मी स्टाफ  के रूप में थल सेना मुख्यालय में सेवाएं दे रहे हैं। जनरल नरवाने 7 सिख लाई में कमीशन हुए तथा अपने लंबे सेवाकाल के दौरान भारतीय सेना में विभिन्न पदों व जगहों पर अपनी सेवा दे चुके हैं। काउंटर इनसर्जेंसी का अनुभव होने के साथ-साथ जनरल नरवाने उत्तरी कमांड के आर्मी कमांडर तथा स्ट्राइक कोर के कोर कमांडर भी रह चुके हैं। काम में निपुण, मृदुभाषी तथा समर्पण के लिए प्रसिद्ध जनरल नरवाने को विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना के सेनाध्यक्ष का कार्यभार संभालने के साथ-साथ कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा। उनके लिए मुख्य चुनौती रहेगी, भारतीय सेना के मॉडर्नाइजेशन की तरफ  बढ़ रहे कदमों को तेज करना। सामान्यतः हर देश अपनी सेना के बजट का 60 प्रतिशत उसके सैनिकों की तनख्वाह, भत्ता, पेंशन तथा हथियारों की मेंटिनेंस पर  खर्च करता है तथा 40 प्रतिशत सेना के लिए आला व अव्वल तकनीक के नए हथियारों की खरीद के लिए खर्च किया जाता है, जबकि पिछले कुछ वर्षों से हमारी सेना में यह रेशो 85 प्रतिशत और 15 प्रतिशत के करीब रही है। वर्तमान में भारत की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अगले वर्ष भी सेना बजट में कोई खास बढ़ोतरी के प्रावधान का अनुमान नहीं लगाया जा रहा, ऐसे में नए हथियारों की खरीद एक बड़ी चुनौती होगी। दूसरा पिछले कुछ समय से इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप बनाने जो भविष्य की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले हैं, उन पर  जो काम चल रहा है उसको आगे बढ़ाना, अभी तक भारतीय सेना ने 9 कोर योल और 17 कोर पानागढ़ में दो इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप बनाए हैं, उनके अभी तक के काम का जायजा लेकर उचित निर्णय लेना। इसके अलावा तीसरी व सबसे महत्त्वपूर्ण वन रैंक वन पेंशन तथा डिसेबिलिटी पेंशन जैसे गंभीर मुद्दों पर भूतपूर्व सैनिकों और सरकार के बीच चल रही बात व मांग पर समन्वय बनाना एक बड़ी चुनौती होगी।


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