पढ़ाई के शौक ने दूसरे प्रयास में ही बना दिया एचएएस

By: Dec 25th, 2019 12:22 am

प्रोफाइल

एचएएस करतार चंद

जन्म तिथि : 22 जुलाई ,1979

शिक्षा :  मैट्रिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल महारल, +2  सीनियर सेकेंडरी स्कूल बिझड़ी, ग्रेजुएशन एचपी यूनिवर्सिटी शिमला पत्राचार के माध्यम से, पोस्ट ग्रेजुएशन जियोग्राफी मद्रास यूनिवर्सिटी से पत्राचार के माध्यम से

पिता  : स्वर्गीय  प्रेम दास

माता : जमना देवी

पत्नी : सपना

बहन : तीन, विवाहित

बच्चे : प्रांजल व वेदांत

1998 में भारतीय नौसेना ज्वाइन की

कहां-कहां सेवाएं दीं

फरवरी 2018 में सेवानिवृत्त होने के बाद डोडराक्वार में तहसील कल्याण अधिकारी के रूप में सेवाएं दे रहे हैं

कुछ अलग करने की चाहत और पढ़ाई का शौक रखने वाले करतार चंद ने एचएएस की परीक्षा में तीसरा रैंक हासिल किया है। तीन बहनों के इकलौते भाई करतार की प्रारंभिक शिक्षा राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल महारल से करने के बाद जमा दो उन्होंने सीसे स्कूल बिझड़ी से की है। प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने भारतीय नौसेना में 1998 में भर्ती होकर देश सेवा करने का फैसला लिया। 3 दिसंबर, 2005 को करतार चंद सपना के साथ परिणय सूत्र में बंधे। करतार चंद के दो बच्चे प्रांजल व वेदांत हैं। पढ़ाई में शुरू से ही होशियार करतार ने नौसेना में सेवाएं देने के साथ-साथ आगे की पढ़ाई भी जारी रखी। उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से जियोग्राफी में पत्राचार के माध्यम से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। जियोग्राफी के असिस्टेंस प्रोफेसर के पद के लिए उन्होंने सेट व नेट की परीक्षा पास की।  फरवरी 2018 में भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने तहसील कल्याण आधिकारी के पद पर प्रदेश के दुर्गम क्षेत्र डोडरा क्वार में अपनी सेवाएं देना शुरू कीं, लेकिन दृढ़ इरादों व मजबूत इच्छाशक्ति के धनी करतार चंद यहां कहां रुकने वाले थे।  उन्होंने नेवी से रिटायर होने के बाद अपने दूसरे करियर पर गंभीरता से सोचना शुरू किया। तहसील कल्याण अधिकारी का पद उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाया। करतार चंद के अनुसार आजादी के 70 साल बाद भी हमारे देश व समाज में बहुत सुधार की गुंजाइश है। प्रशासनिक अधिकारी समाज की दिशा व दशा बदलने में अपना बेहतर योगदान दे सकता है। इसी सोच के साथ प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा ली जाने वाली एचएएस परीक्षा को पास करने का निर्णय लिया।  करतार चंद ने अपने दूसरे ही प्रयास में एचएएस परीक्षा पास की। उनकी सफलता की जिला हमीरपुर में चर्चा है।  परीक्षा की तैयारियों के संदर्भ में करतार चंद ने एनसीईआरटी व बेसिक किताबों से ज्यादा ऑनलाइन स्रोतों से जानकारी जुटाई व पढ़ाई की है, लेकिन उनका मानना है कि बेशक ऑनलाइन स्रोत बेहतर जानकारी देते हैं, पर अभ्यर्थी को सामग्री का चुनाव करने में सावधानी बरतनी चाहिए।

मुलाकात : किसी भी काम के लिए धैर्य बहुत जरूरी…

 प्रशासनिक अधिकारी बनने का क्या मतलब होता है?

  आजादी के 70 वर्षों बाद भी प्रदेश व पूरे देश में बहुत सुधारों की गुंजाइश है। समाज की दिशा व दशा को बदलने के लिए प्रशासनिक अधिकारी अपनी भागीदारी बेहतर तरीके से दे सकता है। एक प्रशासनिक अधिकारी समाज के निचले पायदान पर बैठे व्यक्ति तक कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाकर अपना योगदान देता है।

  कब सोचा एचएएस बनना है?

 नौसेना से रिटायर होने के बाद अपने जीवन के दूसरे करियर के बारे में गंभीरता से सोचना शुरू किया। हालांकि मेरी पोस्टिंग डोडरा क्वार में तहसील कल्याण अधिकारी के रूप में हो चुकी थी, लेकिन फिर भी कहीं कुछ कमी लग रही थी। तब विचार आया कि एक प्रशासनिक अधिकारी अपने आसपास समाज के लोगों के लिए कार्य कर योगदान दे सकता है।

किस प्रयास में सफलता हासिल की?

प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा ली गई परीक्षा को मैंने अपने दूसरे प्रयास में पास किया है। दूसरे प्रयास में सफलता हासिल करने में, पहले प्रयास में की गई मेहनत काफी काम आई।

खुद पर कितना विश्वास?

लक्ष्य को तय कर अगर प्रयास किया जाए, तो सफलता का मिलना निश्चित है। मैंने कभी सुनी- सुनाई बातों पर विश्वास नहीं किया, बल्कि अपने लक्ष्य व मेहनत का स्तर खुद चुना। इस सफलता में मेरे माता-पिता व परिवार का काफी योगदान है। उन्होंने सदैव मेरे हौसले को बढ़ाया है।

एचएएस परीक्षा पास करने को लेकर आपकी दिनचर्या क्या रही ?

अपने पहले प्रयास के दौरान मैंने दिन में 10 से 12 घंटे तक पढ़ाई की। पहले प्रयास में असफल रहने के बाद मैंने अपने लक्ष्य फिर से निर्धारित किए। इस दौरान 8 से 10 घंटे की पढ़ाई की।

परीक्षा के लिए किताबों के अलावा किन स्रोतों का सहारा लिया?

एनसीईआरटी व बेसिक किताबों से ज्यादा ऑनलाइन स्रोतों से जानकारी जुटाई व पढ़ाई की है। बेशक ऑनलाइन स्रोत बेहतर जानकारी देते हैं, लेकिन अभ्यर्थी को सामग्री का चुनाव करने में सावधानी बरतनी चाहिए। रिवीजन व आंसर राइटिंग स्टाइल इस परीक्षा को पास करने की महत्त्वपूर्ण कुंजी है।

आजकल कोचिंग क्लासिज का चलन बढ़ रहा है, क्या ये जरूरी हैं?

कोचिंग क्लासिज के बारे में मेरा मानना है कि ये अभ्यर्थी की मदद कर सकती हैं, लेकिन बहुत जरूरी भी नहीं है। कोचिंग क्लासिज के जरिए आपको अपने सिलेब्स व परीक्षा पैटर्न के बारे में जानकारी मिल सकती है। अंत में आपकी अपनी समझ व सोच ही आपको परीक्षा पास करवाएगी। आपको अपने समाज की समस्याओं की सटीक जानकारी होना भी आवश्यक है।

युवाओं को कोई सुझाव ?

प्रशासनिक अधिकारी बनकर सेवाएं देना हालांकि एक आकर्षक काम प्रतीत होता है, लेकिन यह यात्रा इतनी आसान भी नहीं है। इस यात्रा को पूरा करने के लिए बहुत सारा धैर्य चाहिए। आपको कभी भी अपना दिल नहीं छोड़ना है। कभी भी दूसरों की नकल न करें। साक्षात्कार व नौकरी के लिए अपना खुद का व्यक्तित्व विकसित करें।

नवनीत सोनी, बिझड़ी

 


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