पांगी चंद्रभागा और संसारी नाला की घाटी में स्थित है

By: Dec 11th, 2019 12:20 am

पांगी प्रदेश चंद्रभागा और संसारी नाला की घाटी में स्थित है। यह घाटी बहुत ही सुंदर और स्वास्थ्य प्रद है। पांगी प्रदेश को चंबा से पृथक करने वाली विशाल और ऊंची पर्वत श्रेणी है जिसका नाम पांगी श्रेणी कहा जाता है। पांगी पर्वतमाला में 8 दर्रे अथवा पास हैं जिन से पांगी प्रदेश में पहुंचा जा सकता है। इन दर्रों को पर्वतीय लोग ‘जोत’ अथवा ‘ज्योति’ कहते हैं…

गतांक से आगे …

पांगीघाटी

पांगी प्रदेश चंद्रभागा और संसारी नाला की घाटी में स्थित है। यह घाटी बहुत ही सुंदर और स्वास्थ्य प्रद है। पांगी प्रदेश को चंबा से पृथक करने वाली विशाल और ऊंची पर्वत श्रेणी है जिसका नाम पांगी श्रेणी कहा जाता है। पांगी पर्वतमाला में 8 दर्रे अथवा पास हैं जिन से पांगी प्रदेश में पहुंचा जा सकता है। इन दर्रों को पर्वतीय लोग ‘जोत’ अथवा ‘ज्योति’ कहते हैं। यह सदा हिच्छन रहते हैं। इनमें सब से कम ऊंचाई की जोत का नाम साच ‘जोत’ अथवा साच पास है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 14328 फुट है। सबसे ऊंचा शिखर इस पर्वत माला में 19 हजार फुट ऊंचा है। पांगी घाटी में आमतौर पर आबादी 8 हजार फुट ऊंचाई के मध्य में है। चंद्रभागा नदी जहां पांगी प्रदेश की सीमा को छोड़ कर जम्मू कश्मीर की सीमा में प्रविष्ट होती है, वहां की ऊंचाई समुद्रतल से 7 हजार फुट है यह इस प्रदेश की कम से कम ऊंचाई का स्थान है। इससे नीचा स्थान पांगी प्रदेश में और कोई नहीं है। नवंबर से अप्रैल तक छह महीनों में पांगी प्रदेश बर्फ से अच्छन्न रहता है। एक वर्ष किलाड़ में 24 फुट बर्फ पड़ी, ऐसा बताया गया। प्रायः बर्फ के दिनों में एक ग्राम से दूसरे ग्राम के मार्ग भी बंद होते हैं और छह मास तक स्त्री, पुरुष, बालक ही नहीं उनके पशु भी घरों में बंदी बन जाते हैं। घर ऐसे बने हैं कि गौ, बैल, बकरी, भेड़ और मनुष्य साथ-साथ छह मास तक अंदर रह जाते हैं। गोबर भी पशुओं का छह मास बाद उठाते थे। अपने लिए तथा पशुओं के लिए खाने का सामान तथा घास जमा करके रखते हैं। पांगी प्रदेश तक मानसून नहीं पहुंचता इस लिए वर्षा बहुत कम होती है। शीतकाल में बर्फ गिरती है। पांगी पर्वत माला में और घाटी में अभ्रक अधिक मात्रा में मिलता है। कहीं-कहीं सोना भी पाया जाता है।

 

 


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