पौंग झील किनारे खेती करें विस्थापित

By: Dec 10th, 2019 12:20 am

पूर्व सांसद राजन सुशांत बोले, रोकने से पहले इकरारनामा पूरा करे सरकार

नगरोटा सूरियां, जवाली – पूर्व सांसद डा. राजन सुशांत ने कहा कि जब तक पौंग विस्थापितों के पुनर्वास का इकरारनामा सरकार पूरा नहीं करती विस्थापितों को पौंग डैम क्षेत्र की खाली भूमि पर फसल की बिजाई से नहीं रोक जा सकता। उन्होंने कहा कि विस्थापितों के इस मसले को लेकर 10 दिसंबर को उनके नेतृत्व में विस्थापित तपोवन धर्मशाला में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से मिलेंगे। राजन सुशांत सोमवार को नगरोटा सूरियां में विस्थापितों के जन समूह को संबोधित कर रहे थे। पिछले 47 सालों से विस्थापन का दंश झेल रहे करीब आठ हजार परिवार पौंग झील की खाली भूमि पर फसल बिजाई कर अपने परिवार सहित पशुओं को भी पाल रहे थे लेकिन पिछले साल से वन्य प्राणी विभाग ने बर्ड सेंक्चुरी की आड़ में फसल की बिजाई पर रोक लगा दी है। राजन सुशांत ने नाम न लेते हुए ज्वाली के विधायक पर निशाना साधते हुए कहा कि पौंग झील को 1983 में बर्ड सेंक्चुरी घोषित किया गया था। तब से लेकर अब तक किसानों को किसी ने भी फसल की बिजाई से नहीं रोका। लेकिन पिछले साल रोक लगाकर साबित कर दिया कि रोक लगाने वाले विस्थापितों का कितना हित चाहते हैं। उन्होंने विस्थापितों को कहा कि कल से ही पौंग झील की खाली जमीन पर बिजाई शुरू कर दें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से मिल कर विस्थापितों के पुनर्वास सहित एग्रीमेंट की शर्तें पूरी नहीं होने तक पौंग की खाली जमीन में फसल की बिजाई पर रोक न लगाई जाए, नहीं तो 35 हजार किसानों के साथ वह भी गिरफ्तारी देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान को पानी देने के बदले विस्थापितों के पुनर्वास के लिए एक मुश्त राजस्थान के अनूपगढ़ व जैतसर फार्म में 2.20 लाख एकड़ भूमि आरक्षित करने का इकरारनामा हुआ था। हिमाचल ने इकरारनामे के अनुसार राजस्थान को पानी देने की शर्त को पूरा कर दिया हैए लेकिन राजस्थान सरकार पुनर्वास की शर्त को अभी तक पूरा नहीं कर पाई है। उन्होंने कहा कि जब तक इकरारनामे के मुताबिक विस्थापितों का पुनर्वास नहीं होता तब तक कानूनन विस्थापितों को पौंग की खाली जमीन पर बिजाई पर कोई रोक नहीं लगा सकता। इस अवसर पर पंचायत समिति उपाध्यक्ष बलबीर पठानिया, पंचायत समिति पूर्व अध्यक्ष डा. रजिंद्र गुलेरिया ने भी विस्थापितों को संबोधित किया।


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