बदल लें लाइफ स्टाइल…खतरे में है आपका दिल

By: Dec 11th, 2019 12:30 am

आईजीएमसी की हार्ट स्टडी रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े, तीस दिन में 150 लोगों को अटैक

शिमला  – खबरदार! यदि आपने अपना लाइफस्टाइल अभी से ठीक नहीं किया, तो आपकी धक-धक यानी आपका दिल खतरे में है। तीस दिन में आईजीएमसी की हार्ट अटैक रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है, जिसमें इन तीस दिन के भीतर प्रदेश भर से 150 मरीजों को हार्ट अटैक हुआ और वे आईजीएमसी लाए गए। हालांकि गनीमत जरूर रही कि प्रदेश के एकमात्र आईजीएमसी में हार्ट अटैक के समय फ्री दिए जाने वाले इंजेक्शन का इस्तेमाल हुआ और प्रभावितों की एंजियोग्राफी और बाईपास सर्जरी होने से बच गई। और उनकी जान अस्पताल में बचा ली गई, लेकिन सामने आए हार्ट अटैक के ये आंकड़े निःसंदेह चौंकाने वाले हैं। उल्लेखनीय है कि हिमाचल स्वास्थ्य सेवाआें के लिए यह भी अभी काफी अच्छी खबर है कि आर्ट अटैक के मरीजों को प्रदेश के सबसे पुराने मेडिकल कालेज में अब यह इंजेक्शन फ्री दिया जा रहा है और इससे तीस दिन में 150 लोगों की जान बचाई गई है। इस इंजेक्शन की कीमत 42 हजार की है और यह फ्री में मरीजों को दिया जा रहा है। उधर, कार्डियोलॉजी विभाग द्वारा की गई स्टडी पर और गौर करें, तो हार्ट अटैक होने के बाद प्रभावित समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं। हालांकि कारण सबसे अधिक यह देखा जा रहा है कि उन्हें पता ही नहीं लग पाता कि उन्हें हार्ट अटैक हुआ है या नहीं, लेकिन आईजीएमसी के कार्डियोलॉजी विभाग की स्टडी रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है कि 35 फीसदी मरीज जो अस्पताल पहुंचते हैं, उन्हें ही जीवनरक्षक दवाएं मिल पा रही हैं। ऐसे में जब आईजीएमसी में फ्री सुविधा भी शुरू हो गई हैं, तो इसके लिए जनता को भी सतर्क होना जरूरी है। आईजीएमसी एमएस डा. जनक और सेंट्रल स्टोर इंचार्ज डा. राहुल गुप्ता का कहना है कि प्रदेश सरकार के सरकारी योजनाआें के क्रियान्वयन का सख्ती से पालन किया जा रहा है, जिसके तहत फ्री में हार्ट अटैक से प्रभावितों को इंजेक्शन दिया जा रहा है और मरीजों की जान भी बचाई जा रही है।

हिदायतें/लक्षण

आईजीएमसी के कार्डियोलोजी विभाग के अध्यक्ष डा. पीसी नेगी ने जनता को अपनी जीवनशैली सुधारने के लिए हिदायतें जारी की हैं, जिसमें ये टिप्स जारी किए गए हैं। छाती में दर्द, जो बाजू गले में भी होती महसूस की जा सकती है। सांस लेने में कठिनाई, शरीर में काफी कमजोरी महसूस करना, अचेत होना, सिर हल्का पड़ना और उल्टी आने जैसे लक्षण हैं। पेशेंट को बिठा दें। चलने न दें, अस्पताल ले जाने में देरी न की जाए। एंबुलेंस के माध्यम से मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाया जाए। हार्ट अटैक से बचने के लिए प्रतिदिन व्यायाम करें, तला न खाएं, फास्ट फूड का इस्तेमाल न करें। अपने कोलेस्ट्रोल और बीपी का ध्यान रखें।

…..छह घंटे में मरीज का अस्पताल पहुंचना जरूरी

वर्ष 2011 से 2017 की हार्ट स्टडी रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। स्टडी के मुताबिक 2011 से 2017 तक हर वर्ष 2500 मरीज हार्ट अटैक से प्रभावित प्रदेश के अस्पताल पहुंचें, जिसमें 220 मरीजों की मौत अस्पताल पहुंचने के बाद दर्ज की गई है, जो प्रदेश में दिल को लेकर बेहद गंभीर विषय है। स्थिति चिंताजनक इसलिए भी है, क्योंकि दिल का दौरा पड़ने वाले प्रभावित को तब ही बचाया जा सकता है, यदि प्रभावित मरीज को कम से कम छह घंटे के भीतर जीवनरक्षक दवाएं अस्पताल में मिल जाएं।


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