बेसहारा पशुओं के संरक्षण को आवाज बुलंद

By: Dec 23rd, 2019 12:20 am

उपमंडल चौपाल में खुले आसमान तले सड़कों पर घूम रहे सैकड़ों बेसहारा बेजुबान

नेरवा-उपमंडल चौपाल के समाजसेवी युवाओं एवं स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग की है कि सड़कों पर घूम रहे आवारा गोवंश के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। गैर सरकारी संस्था प्रयास के अध्यक्ष मुकेश झगटा, सदस्य योगेश चौहान, आत्मा राम, सुरजीत झगटा, सुरेश नेगी, सोहन पपटा, कुणाल झगटा, राम लाल, समाजसेवी विशाल चौहान, सार्थक दीवान व पंकज ठाकुर आदि ने मांग की है कि चौपाल क्षेत्र के बर्फ  वाले स्थानों एवं निचले क्षेत्रों में खुले आसमान के नीचे घूम रहे गोवंश के संरक्षण के लिए निचले क्षेत्रों में शेड का निर्माण कर इन्हें वहां पर पंहुचाया जाए एवं इनके लिए चारे व पानी की व्यवस्था की जाए ताकि सड़कों पर घूम रहे ये पशु ठंड से बेमौत मरने से बच सकें। बता दें कि उपमंडल चौपाल में ऐसे आवारा छोड़े गए बेसहारा पशुओं की तादाद सैंकड़ों में है व बीते समय में इनमें से कई तो जंगली जानवरों और आवारा कुत्तों के शिकार भी हो चुके हैं। लोग इनके संरक्षण के लिए वर्षों से आवाज़ उठा रहे हैं परन्तु अभी तक इस दिशा में कोई भी पहल नजर नहीं आ रही है। मडौग से लेकर चौपाल, रेवलपुल से नेरवा, चौपाल से नेरवा व नेरवा से सैंजखड्ड तक सैंकड़ों आवारा पशु सड़कों पर घूमते देखे जा सकते हैं। अकेले नेरवा बाजार की ही बात की जाए तो यहां पर भी दर्जनों बेसहारा छोड़े गए आवारा पशु बाजार में घूमते रहते हैं और आजकल बाजार में जहां कहीं भी लोगों द्वारा अलाव जलाये जाते हैं। ठण्ड से बचने के लिए ये पशु वहीं पर आग सेकने पंहुच जाते हैं। चौपाल व मडौग के बीच इन दिनों अढ़ाई तीन फुट बर्फ  गिर चुकी है एवं कड़ाके की ठण्ड में इन बेजुबानों जान पर बन आई है। हालांकि गागना, मडौग आदि क्षेत्रों में कुछ युवाओं एवं स्थानीय लोगों ने इनको रखने एवं इनके चारे पानी की अपने स्तर पर व्यवस्था की है परन्तु इन लोगों को इन पशुओं की देखभाल करने में दिक्कते पेश आ रही है व इन के समक्ष धीरे धीरे चारे की समस्या उत्पन्न होनी शुरू हो गई है एवं इन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड के बीच इन्हें संभालने में भी कठिनाई पेश आ रही है। लोगों का कहना है कि स्थानीय लोगों के लिए अपने स्तर पर इन पशुओं के लिए शेड व चारे आदि की व्यवस्था करना भी मुमकिन नहीं है। लिहाजा उन्होंने सरकार से मांग की है कि इन बेजुबान पशुओं के संरक्षण के लिए स्थान चिह्नित कर जहां बर्फबारी नहीं होती है उन निचले क्षेत्रों में शेड बना कर रखने की व्यवस्था की जाये एवं इनके लिए पर्याप्त चारे व पानी का भी इंतजाम किया जाए।

 

 


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