मंडी इंटरनेशनल एयरपोर्ट की राह में रोड़ा

By: Dec 7th, 2019 12:14 am

सुंदरनगर की पहाड़ी बनी बड़ी बाधा, बड़े जहाजों की लैंडिंग संभव नहीं

 शिमला –मंडी में प्रस्तावित इंटरनेशनल एयरपोर्ट की लैंडिंग में सुंदरनगर की पहाड़ी रोड़ा बन गई है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की सर्वे रिपोर्ट में एयरपोर्ट के प्रस्तावित स्थल में बड़े जहाजों की लैंडिंग संभव नहीं है। ऑब्स्ट्रक्शन लिमिटेशन सरफेस की तकनीकी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इसमें कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए 3200 मीटर का रन-वे जरूरी है। इसके अलावा बड़े जहाजों के उतरने के लिए पांच हजार मीटर हवाई रेंज की क्लीयरेंस का प्रावधान आवश्यक है। इसके तहत जहाज के जमीन पर उतरने से पहले पांच किलोमीटर तक की हवाई पट्टी होना लाजिमी है। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि सुंदरनगर के समीप की ऊंची पहाड़ी इस रेंज में बाधा बन गई है। हालांकि रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि इस पहाड़ी को काटने के बाद प्रस्तावित स्थल में बड़े जहाज उतर सकते हैं। पुख्ता सूचना के अनुसार इस पहाड़ी को काटने के लिए सैकड़ों करोड़ खर्च होंगे। इसके चलते फिजिबिलिटी रिपोर्ट में और दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। उल्लेखनीय है कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीम ने मंडी के नेरचौक के समीप अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए ऑब्स्ट्रक्शन लिमिटेशन सरफेस सर्वे किया था। फरवरी 2018 में एयरपोर्ट अथॉरिटी की टीम सर्वे के लिए मंडी पहुंची थी। इसके बाद टीम ने कई चरणों में इसका अध्ययन किया है। इसके तहत एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने सर्वे रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस एयरपोर्ट की संभावनाओं को तलाशने के लिए खूब कसरत की है। उन्होंने हिमाचल में पहले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण का प्रस्ताव केंद्र सरकार के समक्ष प्रमुखता से रखा है। इसके तहत उन्होंने फंडिंग के लिए भी रक्षा मंत्रालय के समक्ष यह मामला जोरदार तरीके से उठाया है। इस एयरपोर्ट के सर्वे के लिए जीएमआर ग्रुप की सेवाएं भी ली गई हैं। दिल्ली में दुनिया का बेहतरीन एयरपोर्ट बनाने वाले जीएमआर ग्रुप ने भी प्रस्तावित स्थल का दौरा कर अपने सुझाव सरकार को दिए हैं।

बाधाओं पर कैबिनेट में चर्चा

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से आई रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार अगली संभावनाओं को तलाश रही है। इसके तहत अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस सप्ताह आयोजित प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में भी इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई है।

छोटे विमान की उतर पाएंगे

अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की राह में रोड़ा बन रही पहाड़ी का हल नहीं निकला तो इस एयरपोर्ट में भी एटीआर-72 विमान ही लैंड कर सकेंगे। यानी इस एयरपोर्ट में भी धर्मशाला हवाई अड्डे की तर्ज पर छोटे जहाज ही उड़ान भर पाएंगे। अंतरराष्ट्रीय मापदंडों पर हवाई अड्डे का निर्माण होने के बाद ही 180 सीटर जहाज उतर सकेंगे।


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