मिट्टी का कमरा; तीन कक्षाएं और एक टीचर

By: Dec 5th, 2019 12:02 am

सिरमौर के दाणा स्कूल में छठी से आठवीं के बच्चे खस्ताहाल भवन में पढ़ाई करने को मजबूर

 शिमला-सिरमौर के मिडल स्कूल दाणा में छात्रों को पशुओं से भी बदतर स्थिति में ठूंस कर रखा गया है। जर्जर हो चुके स्कूल भवन के कच्चे कमरे में पढ़ाई कर रहे छात्रों की मनोस्थिति भयावह है। खतरा यह है कि यह स्कूल भवन किसी भी समय जमींदोज हो सकता है। इस कारण कोई भी अध्यापक इस स्कूल में जाने को तैयार नहीं है। नतीजतन छठी से आठवीं तक तीनों कक्षाएं एक ही अध्यापक पर थोंप दी गई है। शिक्षा में अव्वलता का नगाड़ा बजा रहे हिमाचल की धरातल पर सच्चाई को संगड़ाह का दाणा स्कूल बखूबी बयां कर रहा है। जिले के दाणा स्कूल को सरकार व शिक्षा विभाग ने अपगे्रड तो कर दिया, लेकिन चार साल से सरकार व शिक्षा विभाग न तो स्कूल के लिए अच्छा परिसर दिला पाई और न ही इस स्कूल में शिक्षकों की तैनाती कर पाए। हालत यह है कि दाणा मिडल स्कूल के 25 छात्र मजबूरी में स्कूल में आ तो रहे हैं, लेकिन उन्हें यहां पर शिक्षा का माहौल नहीं मिल रहा। वहीं किसी के पुराने घर में पनाह तो मिली है, लेकिन स्कूल के ऊपर घर की रसोई होने की वजह से वहां पर क्लास रूम तक खाने के पदार्थ व कूड़ा-कर्कट पड़ता रहता है। एसएमसी प्रधान सोमप्रकाश का आरोप है कि जब बच्चों के साथ इस प्रकार का अन्याय किया जाएगा, तो छात्रों का भविष्य तो अंधकारमय हो ही जाएगा। प्रशासन को जगाने के लिए युवक मंडलों से लेकर ग्राम महिला मंडलों की शिकायतें प्रशासन को भेजी जा चुकी हैं, लेकिन मामले पर अब तक कोई कार्रवाई होती दिख नहीं रही है। हैरानी तो इस बात की है कि इस स्कूल में जिन दो शिक्षकों को भेजा गया था, उन्होंने दूसरी जगह एडजस्टमेंट करवा दी।

मिड-डे मील, आफिस के काम का जिम्मा

दाणा स्कूल 2016 में स्तरोन्नत तो हो गया, लेकिन शिक्षा विभाग और प्रशासन की लापरवाही देखिए, न तो स्कूल को अपना भवन मिल पाया न पढ़ाने के लिए अध्यापक। एक अध्यापक संस्कृत शास्त्री है, वही एकमात्र अध्यापक है। हर रोज मिड-डे मील से लेकर तमाम स्कूली कार्यालय कार्य भी कर रहा है। इसके साथ ही गणित और विज्ञान जैसे विषयों को जैसे-तैसे पढ़ा भी रहा है।

 


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