मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को दी मंजूरी, खर्च होंगे ₹8,700 करोड़

By: Dec 24th, 2019 3:38 pm

NBTनरेंद्र मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है। मंगलवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में कई अहम फैसले लिए गए। इसके तहत देश भर के नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा। हालांकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। इसका इस्तेमाल सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए करती है। कैबिनेट ने एनपीआर और राष्ट्रीय जनगणना के लिए बजट के आवंटन को भी मंजूरी दे दी है।

क्या है NPR?
नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) के तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना NPR का मुख्य लक्ष्य है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी। इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी। NPR में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा।

कैसे अलग है NRC से?
NPR और NRC में अंतर है। NRC के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छिपा है। वहीं, छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को NRP में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है।

बाहरी की भी हाजिरी
बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी NPR में दर्ज होना है। NPR के जरिए लोगों का बायोमीट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है।

UPA सरकार की थी योजना
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में 2010 में NPR बनाने की पहल शुरू हुई थी। तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था। अब फिर 2021 में जनगणना होनी है। ऐसे में NPR पर भी काम शुरू हो रहा है।


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