रेप पीडि़त की सेक्स लाइफ जमानत का आधार नहीं
नई दिल्ली यौन हिंसा के खिलाफ लगातार सख्त रुख अपना रहे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रेप केस में लड़की की ‘सेक्स लाइफ’ की वजह से आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि अगर मेडिकल सबूत इस ओर इशारा दे रहे हों कि यौन हिंसा की पीडि़त सेक्स की आदी है, तब भी यह किसी हाई कोर्ट के लिए रेप आरोपी को जमानत देने का कोई आधार हरगिज नहीं हो सकता। चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बैंच ने रेप केस के एक आरोपी रिजवान को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने पर सख्त रुख अपनाया। हाई कोर्ट ने इस आधार पर आरोपी को जमानत दे दी थी कि मेडिकल रिपोर्ट इस ओर इशारा कर रही थी कि पीडि़त ‘सेक्स की आदी’ थी और आरोपी का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं रहा है। हाई कोर्ट ने यह माना था कि हो सकता है कि आरोपी और पीडि़त के बीच सहमति से रिश्ता रहा हो। सीजेआई की अगवाई वाली बैंच ने कहा कि सेक्स की आदी होना जमानत देने का आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने तीन अप्रैल, 2018 को आरोपी रिजवान को हाई कोर्ट से मिली जमानत को रद्द कर दिया।
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