सैनिक स्कूल की ढाल बने सरकार
अनुज कुमार आचार्य
लेखक, बैजनाथ से हैं
सैनिक स्कूल सुजानपुर के 14 छात्रों के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़कवासला पुणे के लिए चयनित होने पर इसे रक्षामंत्री ट्रॉफी से नवाजा गया है। पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा 1974 को स्थापित और 2 नवंबर 1978 को पूर्व राष्ट्रपति संजीवा रेड्डी द्वारा उद्घाटित इस विद्यालय में छठी कक्षा से 12वीं कक्षा तक लगभग 525 छात्र सीबीएसई पाठ्यक्रम के अंतर्गत अध्ययनरत हैं। अपनी स्थापना के बाद से लेकर आज तक इस शिक्षण संस्थान से पढ़कर निकले सैकड़ों छात्रों में से अधिकांश कैडेट्स एनडीए, आईएमए और सशस्त्र सेनाओं के तीनों अंगों में प्रशिक्षण उपरांत अधिकारी पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं…
हिमाचल प्रदेश के एकमात्र सैनिक स्कूल सुजानपुर का रुतबा यहां से पढ़कर निकले सैन्य अधिकारियों की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर बुलंदियों पर रहता आया है। भारत के सभी सैनिक स्कूलों के मध्य एनडीए के लिए सर्वाधिक कैडेट्स के चयनित होने पर तीन बार रक्षामंत्री ट्रॉफी से नवाजे जा चुके इस सैनिक स्कूल से पढ़कर निकले सैकड़ों कैडेट्स बतौर अधिकारी अपनी सेवाएं राष्ट्रहित में दे रहे हैं। वर्ष 2018 में देश के 31 सैनिक स्कूलों में से सैनिक स्कूल सुजानपुर के 14 छात्रों के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़कवासला पुणे के लिए चयनित होने पर इसे रक्षामंत्री ट्रॉफी से नवाजा गया है। पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा 1974 को स्थापित और 2 नवंबर 1978 को पूर्व राष्ट्रपति संजीवा रेड्डी द्वारा उद्घटित इस विद्यालय में छठी कक्षा से 12वीं कक्षा तक लगभग 525 छात्र सीबीएसई पाठ्यक्रम के अंतर्गत अध्ययनरत हैं।
अपनी स्थापना के बाद से लेकर आज तक इस शिक्षण संस्थान से पढ़कर निकले सैकड़ों छात्रों में से अधिकांश कैडेट्स एनडीए, आईएमए और सशस्त्र सेनाओं के तीनों अंगों में प्रशिक्षण उपरांत अधिकारी पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सैनिक स्कूल सुजानपुर इन दिनों आर्थिक संकट से गुजर रहा है और वर्ष 2015-16 के बाद से हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हिमाचली बोनाफाइड विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति पिछले 5 वर्षों से रुकी हुई है जबकि विद्यालय प्रशासन 2015-16 से लेकर प्रत्येक वर्ष शिक्षण संस्थान में अध्ययनरत छात्रों के लिए छात्रवृत्ति जारी करने से संबंधित सभी दस्तावेजों को नियमित रूप से उच्च शिक्षा निदेशालय, हिमाचल प्रदेश सरकार के पास जमा करवाता आ रहा है।
हाल ही में धर्मशाला के तपोवन में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन सदन के भीतर प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के तहत सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने भी हिमाचल के इस एकमात्र सैनिक स्कूल के मसले को उठाया है। उनके अनुसार, हिमाचल प्रदेश सरकार और सैनिक स्कूल सोसायटी के अंतर्गत एक एग्रीमेंट के तहत प्रत्येक वर्ष विद्यालय को आर्थिक सहायता देने की बात मानी गई है। उनके अनुसार 40 साल पुराने इस विद्यालय के भवन और होस्टल को तत्काल मरम्मत की दरकार है और प्रदेश सरकार को स्कूल को 3 करोड़ 71 लाख रुपए की राशि का भुगतान किया जाना बकाया है। इतना ही नहीं, हिमाचली बच्चों को प्रदेश सरकार से मिलने वाली स्कॉलरशिप पिछले 5 वर्षों से ऑडिट कारणों के नाम पर रोककर प्रदेश के सैकड़ों जरूरतमंद, लेकिन प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के साथ अन्याय किया जा रहा है। परंपरागत रूप से हिमाचल प्रदेश देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि के नाम से भी अंतरराष्ट्रीय जगत में प्रख्यात है और आजादी के बाद हुई सभी प्रमुख लड़ाइयों में दिए गए परमवीर चक्र में सर्वाधिक चार परमवीर पदक हिमाचली वीरों के खाते में आए हैं जबकि अन्य वीरता पदकों को हासिल करने वाले जांबाज हिमाचली सपूतों की संख्या भी सैकड़ों में है।
हिमाचल के प्रत्येक घर से भारतीय सशस्त्र सेनाओं में शामिल होकर देश सेवा करने का जोश और जज्बा अभी भी हमारी युवा पीढ़ी में बरकरार है। हमीरपुर जिले के सुजानपुर में लगभग 40 वर्ष पूर्व स्थापित इस विद्यालय की जमीन का स्कूल प्रशासन के नाम पर न होना भी इस विद्यालय की विकास प्रक्रिया में बाधक बना हुआ है। ऐसे समय में जब पूर्वोत्तर में मिजोरम राज्य के छिंगछिप सैनिक स्कूल में पहली बार 10 प्रतिशत सीटें लड़कियों के लिए आरक्षित की जा चुकी हैं और शैक्षणिक सत्र 2019-20 से 12 लड़कियां सफलतापूर्वक कैडेट्स के रूप में प्रशिक्षण हासिल भी कर रही हैं और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी वर्ष 2021-22 से देश के सभी सैनिक स्कूलों में लड़कियों को दाखिला देने की बात कह चुके हैं, वहां इस महत्त्वपूर्ण केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान के प्रति उदासीनता और असहयोग की भावना रखना प्रदेश के होनहार बच्चों से अन्याय ही माना जाएगा।
सैनिक स्कूल सुजानपुर हिमाचल प्रदेश के लिए एक धरोहर स्वरूप है और यहां पढ़ने वाले अधिकांश हिमाचली छात्रों तथा भविष्य में यहां से पढ़कर अफसर बनने का सपना संजोए नन्हे बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और राष्ट्र के सुरक्षा हितों में हिमाचली भागीदारी के मद्देनजर राज्य के दूरदर्शी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को स्वतः संज्ञान लेते हुए उच्चाधिकारियों से इस संवेदनशील मसले पर बरती जा रही लापरवाही बारे जवाब तलबी किए जाने की तत्काल आवश्यकता है।
आशा है कि प्रदेश सरकार इस गौरवशाली अतीत वाले शिक्षण संस्थान के रखरखाव और पिछले 5 वर्षों से रुकी हुई स्कॉलरशिप की राशि को तत्काल जारी कर इस विद्यालय तथा राष्ट्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर वीरभूमि राज्य के गौरव को बरकरार रखेगी।
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