स्कूल बसों में आउटसोर्सिंग का खेल, सरकार फेल

By: Dec 23rd, 2019 12:20 am

राजधानी के स्कूलों में आउटसोर्स पर बसें खरीदने का गेम, सरकार की नाक तले उड़ रहीं नियमों की धज्जियां

शिमला-राजधानी शिमला के निजी स्कूलों का आउटसोर्स पर बसें खरीदने का खेल चल रहा है। सरकार व जिला प्रशासन के नाक तले यह सारा काम निजी स्कूल कर रहे हैं। हैरानी इस बात की है कि इन स्कूलों पर कोई कार्रवाई जिला प्रशासन कर नहीं पा रहा है। सरकार के आदेशों के बाद भी स्कूली छात्रों की सुरक्षा को लेकर प्रबंधन गंभीर नहीं है। साल के शुरू में शिमला के निजी स्कूलों को आदेश जारी कर दिए गए थे कि वे अपनी येलो बसें खरीदें, लेकिन इन स्कूलों ने बसें तो खरीद लीं, हैरानी इस बात की है कि वह बसें निजी स्कूलों ने आउटसोर्स पर रख लीं। यानी खानापूर्ति के तौर पर छात्रों की सुरक्षा को लेकर सरकार को बताने के लिए आउटसोर्स पर येलो बसें ले लीं, लेकिन किसी भी स्कूल के पास अपने नाम की एक भी बस नहीं है। ऐसे में कई तरह के सवाल यहां उठते हैं कि आखिर जिला प्रशासन के नाक तले ऐसा हो रहा है। बावजूद इसके जिला प्रशासन ने अपनी आंखें मूंद रखी हैं। सूत्रों की मानें तो शहर के 17 स्कूलों को जिला प्रशासन की ओर से कहा गया था कि वे अपनी बसें नए सेशन में खरीद लें। ऐसे में प्रशासन ने इन स्कूलों को बार-बार पत्र भी लिखे, जिनका काफी समय तक कोई भी जवाब नहीं आया। अब कुछ समय बाद प्रशासन ने फटकार लगाई तो, स्कूलों ने जल्दी में आउटसोर्स पर ही बसें खरीद लीं। अब शिमला के बड़े-बड़े स्कूलों को आउटसोर्स पर बसें खरीदने के पीछे क्या कारण रहे हैं, यह बताना तो मुश्किल है। हालांकि नए सेशन से जिन आउटसोर्स बसों में छात्र सफर करेंगे, क्या वह सुरक्षा के मद्देनजर ठीक होंगी, या नहीं, इस पर कौन जवाब देगा।

टैक्सी ड्राइवरों ने खरीद लीं बसें

शिमला में अधिकतर टैक्सी यूनियन के सदस्यों ने अपनी गाडि़यां बेचकर बसें खरीद ली हैं। ऐसे में आने वाले समय में टैक्सी की कमी भी शिमला में हो सकती है।

शिमला में सरकारी बसों की कमी

बता दें कि निजी स्कूलों में सरकारी बसें लगने की वजह से यहां जिला के कई ऐसे ग्रामीण रूट हैं, जहां बसें ही नहीं जाती हैं, जिससे लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

 


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