हस्तशिल्प, हथकरघा के लिए 30 लाख

By: Dec 29th, 2019 12:01 am

नए बुनकर तैयार करेगा निगम; 12 जगहों पर होंगी वर्कशॉप, सिरमौर में बन रही खड्डियां

शिमला – प्रदेश में युवाओं खासकर महिलाओं को हस्तशिल्प एवं हथकरघा के क्षेत्र में स्वरोजगार अपनाने के लिए तैयार किया जाएगा। प्रदेश के हस्तशिल्प, हथकरघा निगम ने इसके लिए एक प्रोजेक्ट तैयार किया है जिसे भारत सरकार से मंजूरी मिल गई है। केंद्र सरकार ने यहां पर हस्तशिल्प, हथकरघा को अपनाने के लिए युवाओं को प्रेरित करने को 30 लाख रुपए की राशि जारी की है। इस धनराशि से यहां पर अलग-अलग क्षेत्रों में वर्कशॉप करवाई जाएंगी। यहां पर युवाओं को लाकर उन्हें सिखाया जाएगा कि वह किस तरह से ऐसे उत्पाद तैयार करें, जिनकी बाजार में डिमांड हो। इससे उन्हें स्वरोजगार मिलेगा। उन्हें ट्रेंड करने के लिए मास्टर ट्रेनर यहां पर होंगे, जो सिखाएंगे कि वह कौन से उत्पाद बना सकते हैं, जिनकी डिमांड रहती है। हस्तशिल्प के क्षेत्र में क्या कुछ बनाया जा सकता है, वहीं हथकरघा उत्पाद भी सिखाए जाएंगे। बता दें कि यहां निगम द्वारा सिरमौर में एक पुरानी फैक्टरी को भी रिवाइव कर दिया गया है, जहां पर खड्डियां बनाने का काम किया जा रहा है। खड्डियां जनजातीय क्षेत्रों में भेजी जाएंगी, जहां इन वर्कशॉप में लोगों को सिखाया जाएगा। महिलाओं को खड्डियां देने की भी योजना है। प्रत्येक वर्कशॉप के लिए पांच लाख 62 हजार रुपए की राशि दी जाएगी। अभी केंद्र से 33 लाख 78 हजार रुपए की धनराशि मिल गई है, शेष राशि प्रोजेक्ट के बीच में मिल जाएगी। हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में हस्तशिल्प एवं हथकरघा उद्योग की खासी संभावनाएं हैं। बता दें कि यहां पर बुनकरों व कारीगरों को राहत देने के लिए सरकार ने नीति भी बनाई है। छोटे कारीगरों को  उत्पाद खरीदने को पैसा भी सरकार देने जा रही है। यहां पर सालों से ऐसे उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं और बड़ी संख्या में यहां लोगों  ने स्वरोजगार अपनाया हुआ है। केंद्र सरकार की मदद से यहां पर नए कारीगरों को तैयार किया जाएगा, जिन्हें आगे काम शुरू करने में भी सरकार मदद करेगी। हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम के यह प्रोजेक्ट सिरे चढ़ेंगे तो भारत सरकार से कुछ और परियोजनाओं के लिए भी पैसा लिया जाएगा।

कौशल विकास प्रोजेक्ट भेजा

स्किल डिवेलपमेंट का एक अन्य प्रोजेक्ट भी भारत सरकार को भेजा गया है, जिसमें प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की स्थानीय पहचान को तैयार करने में मदद की जाएगी, वहीं तकनीकी दक्षता को बढ़ावा देने के लिए भी एक इंटीग्रेटिड प्रोजेक्ट भेजा गया है।


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